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मैं आप सभी जन की, बस इतनी दुआ चाहूँ,

भावों को सरल रखके, शब्दों में तरल करके,
सच्चाई के सांचों में, सच को ही ढला पाऊं,
सच, प्रेम की गंगा को, जन मन में रमा पाऊं .
मैं आप सभी जन की...

भावों के अथाह सागर, शब्दों को समझ पाऊं,
शब्दों में छिपे भावों की, गहराई दिखा पाऊं,
भाषा और विभाषा के, अंतर को मिटा करके,
संगीत सुलभ जैसा, कविता को बना पाऊं .
मैं आप सभी जन की...

जन जन के तृषित मन से, दुखदर्द मिटा पाऊं,
आशाओं का हर दिल में, एक दीप जला पाऊं,
खुशियों के सभी सागर, छलकें चाहें जितने भी,
पर दुख दर्द के आसूं का, अस्तित्व मिटा पाऊं.
मैं आप सभी जन की...

न जाति रहे कोई, ना धर्म रहे कोई,
मानवता के धागों में, इंसान पिरो पाऊं,
सुनले ऐ खुदा, ईश्वर, वाहे गुरु, जीसस,
सामर्थ्य भरो इतनी, नफरत को मिटा पाऊं.
मैं आप सभी जन की...

बंधक न रहे कविता, भाषाओं के दामन में,
हर भाषा की भाषा से, पहचान बढ़ा पाऊं,
कविताओं के हरफन का अनुभव मेरा ऐसा हो,
मन भावों को, शब्दों के, दर्पण में दिखा पाऊं.
मैं आप सभी जन की...

शब्दों के ही कारण, हर युग में, घृणा पनपी,
हर ठेस लगे दिल में, हुई तेज अग्नि मन की,
आहत हुए भावों से, सुध भूली गई तन की,
शब्दों के ही द्वारा, मन अग्नि बुझा पाऊं.
मैं आप सभी जन की...

रंजों के समंदर से, हँस हँस के निकल पाऊं,
ढेरों हों ख़ुशी लेकिन, भूले से ना इतराऊं,
हर एक विधा सीखूं, हर रस को समझ पाऊं,
साहित्य की सेवा में, तन मन को रमा पाऊं.
मैं आप सभी जन की...

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