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बेहतर जीवन दे ना सको तो, क्यूँ तुम जन्म दिया करते हो?

भारत के उज्जवल भविष्य का, सपना तोड़ दिया करते हो?
बेहतर जीवन दे ना सको तो…

भारत की बढती जनसँख्या, बोझ बनी है संसाधन पर,
बहुत खर्च होता है अबतो, बच्चों के, लालन पालन पर,
इस मंहगाई में ज्यादा बच्चे, कैसे पाल लिया करते हो?
बेहतर जीवन दे ना सको तो…

परिवार नियंत्रण मूलमंत्र है, परिवारों की खुशहाली का,
यौवन, स्वास्थ्य और सुन्दरता, ठीक रहेगा घरवाली का,
परिवार नियोजन अपनाने से, क्यूँ परहेज किया करते हो?
बेहतर जीवन दे ना सको तो…

इसी कदर अपनी जन संख्या, निर्बाध ही बढती जाएगी,
आने वाली पीढ़ी इस भू पर, अन्न, हवा, जल ना पायेगी,
नित नई विकट समस्यायें, क्यों तुम टेर लिया करते हो?
बेहतर जीवन दे ना सको तो…

बच्चों को हर सुख सुविधा दें, है पहला कर्तव्य हमारा,
शिक्षित, स्वथ्य और सुसंस्कृत, हो जाये परिवार हमारा,
छोटा हो परिवार, स्वप्न यह, तब साकार किया करते हो।
बेहतर जीवन दे ना सको तो…


समझदार जो पति पत्नी हैं, कुछ तो वह अपनाते ही हैं,
थोडा सा रख ध्यान चक्र का, मौज मस्तियाँ करते ही हैं,
नसबंदी अपनी करवालो, यदि उनसे प्रेम किया करते हो।

बेहतर जीवन दे ना सको तो…


कॉपर टी, कंडोम, सहेली, टू डे, सस्ते सुलभ हैं साधन,
चिन्ताओं से मुक्त रखेंगे ये, “ वैवाहिक सौंदर्य प्रसाधन ”,
जो चाहे उसको अपनाओ, क्यूँ तुम यार डरा करते हो?
बेहतर जीवन दे ना सको तो…

अगर भायें ना यह सब साधन, करवा लेना तू नसबंदी,
तू मेहनतकश इंसान रहेगा, पत्नी भी तन मन से चंगी,
खुशहाली के मूलमन्त्र से, क्यों तुम व्यर्थ डरा करते हो?
बेहतर जीवन दे ना सको तो…

सुखमय वैवाहिक जीवन की, ज्ञानपूर्ण आधारशिला है,
मूल मन्त्र को जो ठुकराते, उन्हें सदा सन्ताप मिला है,
खुद की गलती, लेकिन पत्नी, को क्यूँ दोष दिया करते हो?
बेहतर जीवन दे ना सको तो…

दो बच्चों के जन्म में रक्खें, चार वर्ष से ज्यादा अन्तर,
घर की खुशहाली का ये है, सब से अच्छा जादू मन्तर,
सर्वोत्तम सुख का फ्री नुस्खा, क्यूँ बेकार किया करते हो?
बेहतर जीवन दे ना सको तो…

धरती की सामर्थ है जितनी, उतनी जनसंख्या को पाले,
इस कारण से मिल ना पाते, हर प्राणी को यहाँ निवाले,
जन संख्या अनुरूप बढाकर, पैदावार किया करते हो?
बेहतर जीवन दे ना सको तो…

हर प्राणी को जब आवश्यक, रोटी, कपडा, घर रहना है,
हर आने वाले प्राणी का, इन तीनों पर बोझा बढ़ना है,
जनसँख्या औ’ संसाधन में, क्या अनुपात रखा करते हो?
बेहतर जीवन दे ना सको तो…

रोजगार का सृजन कभी भी, ना अपने हाथों होता है,
सीमित कर पाना कुटुम्ब को, इन्सा के हाथों होता है,
क्यूँ धरा पर भूखे, नंगों की, संख्या बढ़ा लिया करते हो?
बेहतर जीवन दे ना सको तो…

जीवन स्तर गुणवत्ता में, नहीं कभी अपेक्षित उन्नति होती,
जनसँख्या विस्फोट से लेकिन, निश्चित ही है अवनति होती,
यदि उन्नति स्वीकार नहीं, क्यूँ अवनति आप चुना करते हो?
बेहतर जीवन दे ना सको तो…

अब कम हो चुकी म्रत्यु की दर तो, रही जन्म की दर बेकाबू,
जन्म की दर भी कम होगी, यदि पालें परिवार नियोजन जादू,
जब इतने सारे हैं विकल्प तो, क्यों तुम यार डरा करते हो?
बेहतर जीवन दे ना सको तो…

उम्र ब्याह की ठीक यही है, इक्कीस लड़का, अठारह लड़की,
इस से कम यदि उम्र, समाज में, हुआ करेगी तड़का, भड़की,
अन्धे बन कर, कच्चे तन पर, फिर क्यों जुल्म किया करते हो?
बेहतर जीवन दे ना सको तो…

यदि एक बच्चा पैदा होता है, तीन समस्याएं बढ़तीं हैं,
यही तीन लाखों लोगों को, बहुत प्रभावित ही करतीं हैं,
तभी कुपोषित, नंगे, भूखे, बेघर बहुत किया करते हो।
बेहतर जीवन दे ना सको तो…

जनसँख्या विस्फोट रोकना, है हम सब की जिम्मेदारी,
"पोलीगैमी" को अपनाना, है बड़ी देश के संग गद्दारी,
भारत के उज्जवल भविष्य के, दुश्मन आप बना करते हो?

बेहतर जीवन दे ना सको तो, क्यूँ तुम जन्म दिया करते हो?
भारत के उज्जवल भविष्य का, सपना तोड़ दिया करते हो?

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