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नोट बंद क्या किये, देशद्रोही एक हो गये,
भ्रष्ट, धृष्ट, दुष्ट सभी, लज्जा हीन हो गए,
काला धन कुबेर आज, जार जार रो रहे,
छद्म देशभक्त खुल के, स्वयं नंगे हो रहे !
यदा कदा करते, भारत बंद का ऐलान है ।

जनता कभी दोषियों को, माफ़ नहीं करेगी,
अब भ्रष्ट, दुष्ट, धृष्टो से, कभी नहीं डरेगी,
देश की हर गन्दगी को, साफ़ कर के रहेगी,
ना भ्रष्टाचार, परिवारवाद, तुष्टिकरण सहेगी !
यहाँ पाप घड़ा फूटना, विधि का विधान है।

डर है कि भ्रष्ट सभी, कहीं दंगा ना करवा दें,
भोले भाले लोगों को, कहीं व्यर्थ में न मरवा दें,
जनता ने, देशद्रोहियों का, करना सूर्यास्त है,
संयम, धैर्य, समझ से, करना उन्हें परास्त है !
"भ्रष्टाचार मुक्त भारत", देश का अरमान है।

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