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बिन तुम्हारे, जिन्दगी की, यह शमां बुझ जायेगी,
और जीने की वजह हर, खुद व खुद मर जायेगी।
यह जिन्दगी, एक जिन्दा, लाश ही बन जायेगी।
बिन तुम्हारे, जिन्दगी की, यह शमां बुझ जायेगी---
तुम सांस, धडकन भी हमारी, साथ लेकर क्या गये,
छिपे गम, दुख के अन्धेरे, सब पल में ही गहरा गये,
इस जिन्दगी से हर खुशी की, रौशनी छिन जायेगी।
बिन तुम्हारे, जिन्दगी की, यह शमां बुझ जायेगी--
हर कदम पर शूल, और चलने की हैं मजबूरियाॅ,
लडखडाते पांव, दूभर, दो कदम की दूरियाॅ,
कर्तव्य की बैसाखी ही, श्मशान तक पहुॅचायेगी।
बिन तुम्हारे, जिन्दगी की, यह शमां बुझ जायेगी--
यादों की बैसाखियाॅ, काॅधे पे मन के मीत को,
ढो रही है जिन्दगी, अन्तिम सफर में प्रीत को,
कर समर्पित अग्नि को, खुद भी वहीं ढह जायेगी।
बस यूॅ हीं, इस जिन्दगी की, इति श्री हो जायेगी।।
बिन तुम्हारे, जिन्दगी की, यह शमां बुझ जायेगी,
और जीने की वजह हर, खुद व खुद मर जायेगी।
यह जिन्दगी, एक जिन्दा, लाश ही बन जायेगी।।
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