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कल हम अपने,
अग्रणी बैंक सेवा क्षेत्र (Lead Bank service area),
पीलीभीत, के दौरे पर गए,
तो कुछ बैंक शाखाओं में लगा देखा -
ऐ के - 47 का चित्र,
इस के उद्देश्य से अन्जान,
परेशान, बहुत हुए हैरान,
हम, हमारे सहयोगी,
और कुछ मित्र।
खूंखार को देख,
हमारी धमनियों में,
दौड़ता लहू जम गया,
और हमारे सोच का कारवां,
जहां का तहां थम गया।
काफी विचार विमर्श के बाद,
हमें निम्न तीन प्रयोजन ही,
समझ आये,
परन्तु सर्वोत्तन नहीं चुन पाए
अतः हमारा हर पाठक से,
करवद्ध विनम्र अनुरोध,
कि -
वह इस चित्र पहेली का,
सर्वोत्तम हल हमको सुझाए।
शायद यह,
बड़े बड़े ईनामी और
बहुत से बेनामी,
आतंकवादियों का है,
परिचय पत्र,
तभी तो,
सरकार ने इसे लगाया है,
यत्र, तत्र, सर्वत्र।
चूँकि बैंक सभी,
सरकारी योजनाओं को,
कारगर बनाने की क्षमता रखते हैं,
अतः आतंकवाद नियंत्रण में भी,
अग्रणी भूमिका निभा सकते हैं।
चूँकि बैंक वाले होते हैं,
हस्ताक्षर मिलाने में अभ्यस्त,
अतः सोचा -
कर लेंगे आतंकचाद भी ध्वस्त।
जब भी कोई ऐसा ‘सभ्रांत’ ग्राहक,
परेशान हो कर नाहक,
ऐसा परिचय पत्र साथ लाये,
तो बैंक कर्मी उसे,
प्रदर्शित चित्र से मिलाये,
औपचारिकता के साथ,
खाली चैक या वाउचर पर,
गोलियों के हस्ताक्षर कराये,
और सारी रकम बेहिचके,
इस परिचय पत्र धारक को चुकाए।
यदि उसने मुस्तैदी से,
नियमानुसार कार्य किया,
तो उससे कोई,
पूंछ तांछ नहीं की जायेगी,
क्यूंकि -
उपरोक्त साक्ष्य के आधार पर,
असली परिचय पत्र धारक की,
सही सही शिनाख्त हो जायेगी।
ऐसे लोग,
सर्व प्रथम सशस्त्र सुरक्षा गार्ड से ही,
साक्षात्कार करते हैं,
और अपने परिचय पत्र के,
असली होने की पुष्टि,
उसका सीना छलनी करके करते हैं,
अतः सुरक्षा गार्ड को सख्त हिदायत कि -
उसके स्वागत में,
भूल कर भी,
इस्तेमाल ना करे -
“शस्त्र सलामी प्रथा”
बल्कि
निसंकोच अपनाए-
“चरणों में डाल दें दुनाली प्रथा।“
क्योकि इस उपाय से ही,
संकट की घडी टल सकती है,
और उसके दिल की धड़कन,
बिना टूटे, धडाधड चल सकती है।
बैंक नहीं कहता,
आप किसी भी ग्राहक से,
चाहे वह सभ्रान्त हो या दुर्दान्त हो,
लड़ें या भिड़ें,
वरन निष्कृष्ट सेवा भाव से ही सेवा करें,
और,
सभी से प्रेम भाव, सदभाव से,
विश्व बंधुत्व भावना को,
बिना भेद भाव चरितार्थ करें।
इस ओर बैंक की,
स्पष्ट नीति है कि -
जिस बैंक कर्मी को,
ऐसा सौभाग्य मिले,
वह इनके दुर्लभ दर्शन,
सिर्फ बड़े ही धैर्य,
और ध्यान से करे,
चाहे वो हो चपरासी,
बाबू या अधिकारी,
इसके विपरीत कार्य करने की,
होगी सिर्फ उसकी अपनी ही जिम्मेदारी।
फिर भी कोई ज्यादा फन्ने खां बनेगा,
और बैंक की स्पष्ट नीति के विरुद्ध,
काम करेगा तो,
जो जैसा करेगा, वैसा भरेगा ,
और उसके परिवार को,
मरने के बाद,
एक धेला भी नहीं मिलेगा।
अरे पगले!
दुनाली से ऐ के 47 का सामना करेगा,
तो बे मौत ही मरेगा,
बेटा आतंकवाद के खुदा से डर,
‘ टैक्ट फुली सिचुएशन ‘ को ‘ हैन्डिल ’ कर,
सोच -
जान है तो जहान है,
वरना अगले पल ही,
तेरे बीबी बच्चों की दुनिया वीरान,
और तेरे लिए सिर्फ,
चिता और श्मशान है।
यह सच्चाई है प्यारे,
नहीं है कोई कथा,
तभी तो कहता हूँ,
भूल जा अपने मन की व्यथा।
तेरा यह कहना कि -
‘ मेरा भारत महान है ‘
इस कटु सत्य को भी,
सिद्ध कर देगा कि -
देशद्रोहियों की,
मेहरबानियों से फलाफूला,
रग रग में बसा,
तेरे भारत का आतंकवाद ही महान है।