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देश का सौरभ रहो तुम, देश का गौरव बनो तुम !
बाहरी या आन्तरिक, पर देश के प्रहरी बनो तुम !!

नभ, जल, थल सरहदों की, रक्षा सैनिक ही करेंगे,
आन्तरिक सुरक्षा हम, आप, सब मिल कर करेंगे,
त्याग कर हर स्वार्थ अपने, देश के रक्षक बनो तुम !
देश का सौरभ रहो तुम, देश का गौरव बनो तुम…

तुम कुशल नेतृत्व देना, अपनी हवाई टुकड़ियों को,
ध्वस्त कर दें जो सभी, दुश्मन की सैनिक छावनी को,
‘सुपर सोनिक’ गति से चलते, प्रलय के अम्बर बनो तुम !
देश का सौरभ रहो तुम, देश का गौरव बनो तुम…

राफेल और तेजस जैसे, यान अपने साथ ले कर,
लक्ष निर्धारित करें फिर, त्वरित गति निर्देश देकर,
लक्ष्य भेदन की कला में, आज के अर्जुन बनो तुम !
देश का सौरभ रहो तुम, देश का गौरव बनो तुम…

सिन्धु सीमायें बहुत पर, है चट्टान सा साहस हमारा,
बदनजर इन पर जो डाले, अब कोई दुश्मन दुबारा,
तो ब्रम्होस, अग्नि के कहर से, विश्व को परिचित करो तुम !
देश का सौरभ रहो तुम, देश का गौरव बनो तुम…

परमाणु शक्ति विश्व की बन, हम प्रतिष्ठित हो चुके हैं,
लेकिन भूलिए मत, हम अहिंसा के पुजारी ही रहे हैं,
विघटन करे बर्वाद सब जग, संगठित हो कर रहो तुम !
देश का सौरभ रहो तुम, देश का गौरव बनो तुम…

कोई भी रणबांकुरा अब, खून कतरे को न तरसे,
खून उनको चाहिए जो, खून से लथपथ व तर थे,
उन को जीवन दान देने, रक्त के सागर भरो तुम !
देश का सौरभ रहो तुम, देश का गौरव बनो तुम….

दुश्मनों का नाम औ’ निशां, मानचित्रों से मिटा दो,
युद्ध निर्णायक करो एक, और अंतिम मुक्ति पा लो,
जो भी कोई युद्ध थोपे, उसे ध्वस्त ही करके रुको तुम !
देश का सौरभ रहो तुम, देश का गौरव बनो तुम….

सरहदों को तो सुरक्षित, हम जान दे कर भी करेंगे,
घर में छुपे गद्दार सारे, बस आप ही चिन्हित करेंगे,
गद्दारी षड्यन्त्र उन के, सब विफल करते रहो तुम !
देश का सौरभ रहो तुम, देश का गौरव बनो तुम…

लोग बाहर के, बे रोकटोक, कैसे घर में घुस रहे हैं ?
आधार, राशनकार्ड, पैन कैसे, इनके झूठे बन रहे हैं ?
हर भ्रष्टाचारी की सजा, सिर्फ मृत्युदण्ड ही करो तुम ! 
देश का सौरभ रहो तुम, देश का गौरव बनो तुम…

जनप्रतिनिधि वो हो जिसने, काम सेना में किया हो,
या जिसने दस देशद्रोहियों, का पर्दाफाश किया हो,
शिक्षा, स्वास्थ्य मापदण्ड, उनके निर्धारित करो तुम !
देश का सौरभ रहो तुम, देश का गौरव बनो तुम…

देश का सौरभ रहो तुम, देश का गौरव बनो तुम !
बाहरी या आन्तरिक, पर देश के प्रहरी बनो तुम !!

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