Image by Anil sharma from Pixabay
घर की चक्की में पिसते तन, धुआं धुआं जीवन,
जैसे चूल्हे में जलता हो, गीला गीला ईंधन ।
धुआं धुआं जीवन...
धीरे धीरे चलती चक्की, घूमे सिर्फ धुरी पर,
जीवन दूभर ऐसे जैसे, चलना तेज छुरी पर,
पिसते अरमां, जलते सपने, अपरिभाषित यौवन ।
धुआं धुआं जीवन…
भूख मिटाने, करे श्रमिक, श्रम की साधना कितनी,
मंहगाई के जबड़ों में ही, खप जाती हो जितनी,
तृषित भूख दानव से देखो, वृद्ध, युवा और बचपन ।
धुआं धुआं जीवन…
पेट भरा तो आँखें देखें, अच्छे अच्छे सपने,
राजभोग, सुन्दर आभूषण, हमने खाए, पहने,
भूखी अन्तड़ियां करवा देतीं, सच्चाई का अनुभव ।
धुआं धुआं जीवन…
सामंजस्य सधे अब कैसे, खर्चे और ‘इन्कम’ में,
क्या निश्चित अनुपात रहेगा, रक्तचाप, धड़कन में ?
मंहगाई से कर बैठा है, रक्तचाप गठ बन्धन ।
धुआं धुआं जीवन…
घर की चक्की में पिसते तन, धुआं धुआं जीवन,
जैसे चूल्हे में जलता हो, गीला गीला ईंधन ।
धुआं धुआं जीवन...