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यद्यपि हम बाईस के, सुन्दर, स्वस्थ और नेक,
सुरा और सिगरेट से, रखते सदां परहेज,
रखते सदां परहेज, सैलरी पांच फिगर में,
फिर भी लटका, शादी का था, ख्व्वाब अधर में।
बाईस का हूँ, पर लगूं, अडतीस का सा मर्द,
पर कोई समझा नहीं, मेरे दिल का दर्द,
मेरे दिल का दर्द, ये आफत कैसी आई,
ढूंढी मैने लाख, ना अब तक पत्नी पाई।
बाल श्वेत कुछ हो गए, लोग रहे यह देख,
‘बुद्ढा है, लड़का नहीं’, कहते लोग अनेक,
कहते लोग अनेक, उम्र ना कई छुपाये,
मोटापा घट जाय, हमें कोई युक्ति सुझाए।
मात पिता देखें कन्या, सुन्दर एक से एक,
लेकिन वह पलटा नहीं, हमें गया जो देख,
हमें गया जो देख, लिखा- “माफ़ करें जी आप,
देखन में लड़का लगे, दो बच्चों का बाप “।
ढृढ़ निश्चय करके पढ़े, मैट्रिमोनियल लेख,
चुनचुन कर हम लिख लिए, उनमे से कुछ एक,
उनमे से कुछ एक, अकेले गए देखने,
‘वुड बी इन लॉ ‘ ने कहा- ‘ लड़के को दो भेज ‘।
बायो डाटा को लिए, छप गए, विजटिंग कार्ड,
बॉडी बिल्डिंग में सदां, जीते बहुत अवार्ड,
जीते बहुत अवार्ड, अभी तक हैं अनमैरिड,
शीघ्र विवाह के वास्ते, हम हैं बहुत वरीड।
हाथों हाथ हमको लिया, जब भेजा विजटिंग कार्ड,
पढ़ कर कन्या मुग्ध थी, हम जीते बहुत अवार्ड,
जीते बहुत अवार्ड, रचाया ऐसा चक्रव्यूह,
कन्या हुई तैयार, अकेली देने इन्टरव्यू।
सुघड़, सलोनी, षोडशी, ट्रे में ले, कप, प्लेट,
डरते डरते कर रही, कमरे में प्रवेश,
कमरे में प्रवेश, बोली यूँ लड़की चंचल,
जो भी चाहें आप, पूंछिये जल्दी अंकल।
ज्यो ही देखी रूपसी, तुरत हुए हम मुग्ध,
पर ‘अंकल टंकार’ से, मन व्याकुल और क्षुब्ध,
मन व्याकुल और क्षुब्ध, हुई यह कोशिश भी बेकार,
मोटापे ने कर किया, फिर से मेरा बंटाधार।
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