देश का गोल्ड नीरज तुम, हैं चाॅदी रवि और मीरा,
ब्रोन्ज, पुरुष हाॅकी टीम, सिन्धु, बजरंग, लवलीना,
इन्हीं से प्रेरणा ले लाखों, अब लक्ष्य अपने बनायेंगे,
वे अपना ही नहीं, इस देश का भी, गौरव बढायेंगे।
हर ओलम्पियन को नमन, हर व्यक्ति करता है,
तुम्हारे हौसलों पर, आज भारत, गर्व करता है,
बने तुम हिन्द माटी से, बनो सब देश का गौरव,
व्याप्त हो विश्व में तेरा और तेरे देश का सौरभ।
सफलता जब मिले हमको, बधाई जग ये देता है,
विफलता जब मिले तो हौसला, कब कौन देता है,
पर नया नेतृत्व भारत का, जो चूके पदक लाने से
उन्हें भी सम्मान देता है, हौसला, भरपूर देता है।
मनोबल उनका टूटे ना, जो चूके, चान्स फिर पायें,
जुटें फिर जोश नव लेकर, नया इतिहास रच पायें,
जगे वह जोश की ज्वाला, तीव्र हो भूख पदकों की,
रहे बस नजर लक्ष्यों पर, भूल कर चोट झटकों की,
नए मैदान फिर होंगे, और धुरन्दर नए प्रतिद्वन्दी,
मगर ना अब कमी होगी, देश में खेल रत्नों की।
कुछ ऐसी दूर दृष्टि से, बाढ़ खेल पदकों में आई है
सभी ने नव ऊर्जा लेकर, स्व किस्मत जगमगाई है,
वही प्रतिभा, वही क्षमता, वही परिवेश है अब भी,
ये नये अन्दाज में, गजब की हौसला आफजाई है।