Image by Παῦλος from Pixabay
वर्ष 1990 के आसपास सरकार की Golden Hand Shake योजना बनाने की खबर बड़ी तेजी से मीडिया मे फैली थी जिससे बेरोजगारी की समस्या को कुछ हद तक हल किया जा सके लेकिन सरकारी ठंडे बस्ते के हवाले हो गई।
सरकार भी सब्ज बाग़ दिखाती है,
अपने कर्मचारियों को पागल बनाती है,
अपनी कमजोरियां छिपाती है,
देखिये बेरोजगारी मिटाने को,
"गोल्डन हैंड शेक" योजना बनाई,
लेकिन शुरू नहीं कराई,
तुरन्त ही ठण्डे बस्ते में समाई -
क्योंकि -
आते ही ख़ुशी ख़ुशी,
काम करने वाले कार्य कुशल सारे 'गधे',
तुरन्त अंतिम बार "हैंड शेक" करके चले जायेंगे,
अपनी कर्मठता को कहीं और भुनायेंगे,
यहाँ से मिला पैसा एफ डी में लगायेंगे,
ना स्वाभिमान की धज्जियाँ उड़वायेंगे,
समय पर अच्छा प्रमोशन पायेंगे,
ज्यादा इज्जत पायेंगे
रोजाना की रोटी कहीं और,
इस से बेहतर कमायेंगे।
देखते हैं ये सरकारी विभाग वाले,
कर्णधार और अधिकारी,
अरबी खरबी कमाऊओं को,
आराम करने वाले "घोड़ों" को,
कब तक निभायेंगे,
कब तक इनके बल पर,
मलाई खायेंगे,
अपनी गुडविल बनायेंगे,
आंकड़ों को बनायेंगे,
आकाओं को रिझायेंगे,
कैसे और कब तक प्रॉफिट कमायेंगे?
अरे देश के सारे गधो,
जल्दी से जल्दी एक हो जाओ,
सरकार पर,
“गोल्डन हैंड शेक योजना“,
लागू कराने को ‘प्रेशर’
बनाओ।