हम पागल थे जो सौंप दिया, सब कुछ पत्नी के हाथों में,
सब अपनी खुशियां कैद हुईं, कट्टर, जुल्मी के हाथों में।
हम पागल थे जो सौंप दिया …..

छद्म रूप की मलिका को, हमने तन, मन, धन सौंप दिया,
उस ने बाहों में जकड मुझे, बस प्यार से खंजर घोँप दिया,
मुझ गधे की नाक में नकेल डाल, थामी लगाम खुद हाथों में।
हम पागल थे जो सौंप दिया …..

वह “शेर पालतू” दिखा मुझे, दासी खुद को बतलाती है,
अपनी अक्ल औ’ हिम्मत का, जलवा जग को दिखलाती है,
है गुलाम बनाने का अद्भुत, सब हुनर तुम्हारे हाथों में।
हम पागल थे जो सौंप दिया …..

हम धन्य उन्हें भी कहते हैं, तुम जिन की रानी बेटी हो,
हम व्यस्त हैं घर के कामों में, तुम बिस्तर पर ही लेटी हो,
अपने हर सुख, दुख की चाबी, सरकार तुम्हारे हाथों में।
हम पागल थे जो सौंप दिया …..

यूं पैसे लेकर मत घूमो, कहीं जेब तेरी कट जाये ना,
इतने पैसों के बोझे से, ये पाॅकिट तेरी फट जाये ना,
है सदां सुरक्षित धन दौलत, तेरी पत्नी के ही हाथों में।
हम पागल थे जो सौंप दिया …..

मिन्नत करली, धमकी दे ली, ले लो तलाक या बात सुनो,
"ना लूं तलाक, ना बात सुनूं, देखूं मेरा तुम क्या कर लो,
अब जीवन भर कभी ना छोडूंगी, तेरी गर्दन मेरे हाथों में।"

हम पागल थे जो सौंप दिया, सब कुछ पत्नी के हाथों में,
अब अपनी खुशियां कैद हुईं, कट्टर, जुल्मी के हाथों में।

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