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हों समर्पित सृजन के, हर स्वप्न को साकार करने,
चक्षु में बसते हुए, हर बिम्ब को प्रतिबिम्ब करने,
दीन, हीन, असहाय, निर्धन, और निर्बल जो सताए,
उन सभी मन द्वार पर, आस का एक दीप धरने ।
           हों समर्पित सृजन के, हर स्वप्न को साकार करने …

लक्ष्य और उद्देश्य अपना, सिर्फ सुख और शान्ति हो,
राह सीधी एक रक्खें जिससे, ना कहीं कोई भ्रान्ति हो,
यदि सद्भाव, सहयोग के संग, धैर्य रखकर सब चलेंगे,
तो हर कदम, हर मोड़ पर, शान्तिमय ही पथ मिलेंगे।
हम कोशिशें जारी रखें, यह विश्वास सबके मन में भरने।
          हों समर्पित सृजन के, हर स्वप्न को साकार करने …

जब पथ, लक्ष्य, उद्देश्य एक, तो लाजिमी है भीड़ होना,
पर सहयोग, संयम हो निरंतर, धैर्य बिल्कुल नहीं खोना,
नियम भीड़ के मानोगे तो, निश्चित सुख, शान्ति पाओगे,
वरना दुख, अशांति के, साम्राज्य में ही, भटक जाओगे।
हों प्रयासरत हम सभी, यही विश्वास सबके, मन में भरने ।
           हों समर्पित सृजन के, हर स्वप्न को साकार करने …

सोच मेरा, सोच तेरा, सोच सब का गर मिले तो,
आदमी से आदमी, सहयोग यदि, करने लगे तो,
दुख दर्द के गम, आँसू, आहें, लाख ना ढूंढे मिलेंगे,
" विश्व एक परिवार है " यह, गीत सब गाते मिलेंगे ।
आओ चलें सब साथ ऐसे, विश्व का निर्माण करने ।
           हों समर्पित सृजन के, हर स्वप्न को साकार करने …

हाथ तेरे, हाथ मेरे और व्यस्त सब के हाथ हों तो,
विश्व बन्धुत्व भावना रत, सबके ही जज्बात हों तो,
हो सका जो कभी ऐसा, फिर न युद्ध के हालात होंगे,
आतंक तज, आतंकवादी, निर्माण में संग साथ होंगे ।
आओ आतंक सोच ध्वस्त कर, इंसानियत संचार करने ।
           हों समर्पित सृजन के, हर स्वप्न को साकार करने …

प्रतिभा, क्षमता अद्वितीय, पर नकारात्मकता ही भरी है,
जिसके कारण सम्पूर्ण दुनिया, इनके आतंक से डरी है,
ऐसे सोच की नकारात्मकता, सकारात्मकता में बदल दें,
समस्या को प्राथमिकता दें, जल्द ही कोई हल प्रबल दें ।
खोजें नव तकनीक, धरा पर, स्वर्ग का अवतरण करने ।
हों समर्पित सृजन के, हर स्वप्न को साकार करने...

चक्षु में बसते हुए, हर बिम्ब को प्रतिबिम्ब करने,
दीन, हीन, असहाय, निर्धन, और निर्बल जो सताए,
उन सभी मन द्वार पर, आस का एक दीप धरने ।
          हों समर्पित सृजन के, हर स्वप्न को साकार करने …

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