सभी देते आए उपहार में देखो, ये प्राकृतिक फूल,

भाव, महक भरी शुभ कामना, दिल से करें कबूल,
सोच रहे, क्या आप बन्धुवर, मैं हूं कितना कंजूस -
जो प्रेषित करता, व्यर्थ, नीरस, शब्दों के ही फूल।

नहीं चाहता मैं, खुशी दूँ, इक, दो दिन, कुछ पल की,
महक भरी है ऐसी मैने, जो दे, खुशियां जीवन भर ही,
यादों के पृष्ठों को जब जब भी, आप यूँ ही पलटेंगे,
शब्दों के ये फूल देख, आप के वह पल खुद महकेंगे।

मैं हूं, ना हूँ, उपहार, 'कामना, भेजूं, ना मैं भेजूं तुमको,
पर निश्चित है, जीवनभर, भुला ना पाओगे तुम हमको, ,
चिरस्थायी ना रहेगी खुशबू, कभी किसी भी फूल की,
पर महक कभी ना भूल सकोगे, मेरे काव्य के फूल की।

फूल तोड़ता नहीं, सोचता, बीज फिर इन में नये बनेंगे,
कुछ निश्चित ही, हवा शुद्ध, करने वाले पौधे, वृक्ष बनेंगे,
अच्छा होगा बन्धु अगर, कत्ल, पुष्पों का बन्द करा दो,
संकल्प यह लो, सृष्टि का उपवन, महका, हरा भरा हो।
जिससे इस सृष्टि का उपवन, हरदम महका हरा भरा हो।।

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