कर लो दुनिया मुट्ठी में,
भई कर लो दुनिया मुट्ठी में!
सदियों से सुनते आये हैं, दीवारों के कान होते हैं,
तभी बंद घर की बातों के, चर्चे खुले आम होते हैं,
दीवारें बहरी हो जायें, जहाँ कहीं भी हम तुम जायें,
ऐसी कोई चीज मिला दो, दीवारों की पुट्टी में।
कर लो दुनिया मुट्ठी में,
भई कर लो दुनिया मुट्ठी में!
महायन्त्र अवतरित हो गया, जो जन जन के हाथों में,
रहे आत्मा बन कर देखो, हर धड़कन और सांसों में,
नहीं मोबाइल संग में, लगता, जैसे जीवन ठहर गया,
अलादीन के अब चिराग सब, कैद कर लिए मुट्ठी में।
कर लो दुनिया मुट्ठी में,
भई कर लो दुनिया मुट्ठी में!
खर्च बचेंगे, कागज, टिकट, और लिखने की स्याही के,
वक्त बचेगा, कभी ना डरिये, ना क्वारी, ना ब्याही से,
निज बातों के, निजी मित्र से, लेना देना एस एम एस,
या फिर अपनी सुन्दरता के, भेजा करना एम एम एस ।
कर लो दुनिया मुट्ठी में,
भई कर लो दुनिया मुट्ठी में !
अपनत्व, प्यार की खुशबू आये, बातों की मदहोशी से,
दीवाना मन खो सा जाए, बस बातों की गर्म जोशी से,
दुश्मन, भूल दुश्मनी अपनी, आतुर दोस्त बनाने को,
दोस्त बना लेने की ताकत पाई, अपनेपन की घुट्टी में।
कर लो दुनिया मुट्ठी में,
भई कर लो दुनिया मुट्ठी में.
मदिरा, चाय, दूध या शर्बत, स्वाद नहीं तुम को देंगे,
संवादहीनता के क्षण तुम को, खालीपन से भर देंगे,
मोबाइल पर स्व लोगों से, बात ज़रा सी कर लोगे,
तो स्वर्ग बनेगा, जीवन तेरा, क्या रक्खा है कुट्टी में।
कर लो दुनिया मुट्ठी में,
भई कर लो दुनिया मुट्ठी में!
टाइम देखो, म्यूजिक सुन लो, कर हिसाब कैलकुलेटर से,
फोटो खींचो, फिल्म बना लो, या इस के इन्टरनेट से,
विश्व भ्रमण की टिकट कटा लो, अपने इस मोबाइल से,
सभी मर्ज की एक दवा अब, बन्द तुम्हारी मुट्ठी में।
कर लो दुनिया मुट्ठी में,
भई कर लो दुनिया मुट्ठी में!
देख मोबाइल की रोजाना, बढती जाए महत्ता है,
साधारण से हों व्यक्ति या, जिन के हाथों सत्ता है,
बैंकिंग करने की पावर भी, इसमें हुई समाहित है,
चौबीस घंटे बैंकिंग कर लो, वर्किंग डे या छुट्टी में।
कर लो दुनिया मुट्ठी में,
भई कर लो दुनिया मुट्ठी में!
कल शायद धड़कन, सांसों का, विश्लेषण खुद कर पाए,
तेरे गिरते हुए स्वास्थ्य की, खुद खबर डॉक्टर तक जाए,
तुरत डॉक्टर की एडवाइस, बैक कॉल पर मिल जाए,
प्राण बचाने वाली शक्ति भी, होगी तेरी मुट्ठी में।
कर लो दुनिया मुट्ठी में,
भई कर लो दुनिया मुट्ठी में!
दस रुपये की टिकट लगेगी, वक्त लगेगा कुछ दिन का,
किसे पता यह पत्र तुम्हारा, पहुंचा भी या ना पहुंचा,
हो सकता है गुप्त बात सब, गलत हाथ में पड जाए,
ब्लैक मेल करने वाला कोई, तेरे पीछे पड जाए।
ऑडियो, विडिओ कॉल करो, क्या रक्खा है चिठ्ठी में।
कर लो दुनिया मुट्ठी में,
भई कर लो दुनिया मुट्ठी में!
देश विदेश बहुत से घूमे, क्या लन्दन क्या अमरीका,
जापान, कनाडा, स्विट्ज़रलैंड, चाहे देश हो अफ्रीका,
छान लिया है हम ने देखो, हर चप्पा चप्पा पृथ्वी का,
कहीं नहीं अपनत्व हिन्द सा, व्यवहार मिला रुखा, फीका।
अपनेपन की खुश्बू पाई, सिर्फ हिन्द की मिट्टी में।
कर लो दुनिया मुट्ठी में,
भई कर लो दुनिया मुट्ठी में!
क्या लड़ाई से हासिल होगा, जग वालों को समझाओ,
कट्टरपन, आतंकवाद तज,अपनत्व, प्रेम को अपनाओ,
यही लक्ष्य हो हर जीवन का, प्यार, मोहब्बत फैलाओ,
प्यार, मोहब्बत के घेरों को, विस्तृत और बनाते जाओ।
प्रेमभाव से जीत लो जग को, मत जलो जंग की भट्टी में।
कर लो दुनिया मुट्ठी में,
भई कर लो दुनिया मुट्ठी में!