आज अभी से शुरू करो अब, मत टालो कल, परसों पे,
जागरूकता शुरू हुई कुछ, सिर्फ विगत कल, परसों से,
आओ अब नई मुहिम चलायें, चल न सकी जो अरसों से,
क्यूँ बिटिया, नारी रहीं उपेक्षित, इस समाज में बरसों से ?
क्यूँ बिटिया, नारी रहीं उपेक्षित, इस समाज में बरसों से ?
नर प्रधान समाज में, ऐसी जागृति, मन्थर गति से चलती है,
नारी हक, हित जैसी बातों को, आसान डगर कब मिलती है ?
संयम, मर्यादा में रहने वाली, कब उतर सकी है सड़कों पे ?
अपने सपने, क्षमता, प्रतिभा, हक, दफ़न कर रही अरसों से !
क्यूँ बिटिया, नारी रहीं उपेक्षित, इस समाज में बरसों से ?
कब से समाज में बिटियां, अबलायें खेल रहीं हैं खतरों से,
पर सब को खुश करतीं, मुस्कान, खून, पसीने, गजरों से,
नर पिशाच, अत्याचारी बन उन को, गिरा रहे हैं नजरों से,
पुरुष प्रधान समाज में नारी, क्यों उबर न पायी अरसों से ?
क्यूँ बिटिया, नारी रहीं उपेक्षित, इस समाज में बरसों से ?
महिलाओं में इच्छाशक्ति, और मनोबल, हो न पायें अल्प,
आओ हम सब, आज इसी पल, ले लें बस इतना संकल्प -
“ नारी, नारी की दुश्मन बनके, कभी न कन्यागर्भ गिरायें,
बेटी को मजबूत, सुशिक्षित, सुरक्षित, प्रतिभावान बनायें !”
क्यूँ बिटिया, नारी रहीं उपेक्षित, इस समाज में बरसों से ?
बस हो इतना उद्देश्य, समाज को, प्रतिभा प्रधान बनाना है,
प्रतिभाओं को खोज खोज कर, हम ने स्थापित करवाना है,
अद्वितीय प्रतिभा, क्षमता, धैर्य का, नारी ने प्रमाण दिया है,
अंतरिक्ष में भी सक्षम, सुनीता विलियम्स ने सिद्ध किया है !
स्वर इनके हक के बुलंद हों, जो दम रहे तोडते बरसों से !
हैं समाज का हिस्सा किन्नर भी, इन्हें प्रतिभा संपन्न बनाना है,
किन्नरों को भी मुख्य धारा से जोड़ो, जो हैं उपेक्षित बरसों से !
क्यूँ बिटिया, नारी रहीं उपेक्षित, इस समाज में बरसों से ?