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लॉक डाउन में पत्नियाँ,
अपने में छिपी प्रतिभाएं दिखातीं हैं,
ये कितनी टैलेंटेड हैं,
हर रोज व्हाट्स एप पर भी बतातीं हैं,
रोजाना नई डिशेस, नए प्रयोग, आजमातीं हैं,
कैसे कैसे गजब ढातीं हैं,
कभी कभी तो कच्चे केले, कच्चे पपीते,
मटर, तरबूज के छिलको से बनी,
स्वादिष्ट सब्जी तक खिलातीं हैं,
छोले भठूरे, पाव भाजी, वेज बिरयानी,
रोटी, चावल, सब्जी और दाल मखानी,
मलाई कोफ्ता, हांड़ी पनीर,
मिक्स वेज, गोभी, मिर्च, मटर पनीर,
बच्चे, पतिदेव खाने को अधीर,
पत्नियाँ शेफ है महान,
कभी स्टफ्ड परांठा,
तो कभी बटर नान.
पूरी, कचौरी, आलू, मूंग की दाल की मगोड़ी,
दही, चाट, पकोड़ी,
ध्यान रख कुछ नहीं मिलेगा,
यदि तूने मुंह बनाया या भोंह सिकोड़ी !
साउथ इण्डियन मसाला डोसा, उपमा,
इडली, बड़ा, सांभर, गिरी की चटनी लाजवाब,
वह जानती है तेरे ख्वाब,
कहती है -
एक टाइम जरूरी है,
खिचड़ी या पुलाव,
पौष्टिक स्वास्थ्य वर्धक खाना,
बाजार से भी अच्छा बनातीं हैं,
करेला, पालक, लौकी राजभोग सा बनातीं हैं,
तुम क्या जानो -
ये सब कितने अदब और प्यार से,
आँखें दिखा के खिलातीं हैं !
दिन में दस बार पीने को गर्मागर्म पानी,
जिस में होगी गिलोय, मुलेठी,
अदरख, हल्दी, कालीमिर्च,
इलायची, लौंग, दालचीनी,
चाहे जितने भी नखरे दिखा,
या मनुहार करा,
पर बिना चीनी, ये तो पड़ेगी ही पीनी,
चाय, कॉफ़ी के साथ नई नई घरेलू नमकीन,
पास पास, सौंफ, सुपाड़ी, इलायची, पान टॉफ़ी भी हाज़िर है,
पत्नी को पति से कितना प्यार है, मोहब्बत है,
मैंने तो अब जाना, जो जग जाहिर है !
आइस क्रीम, चिल्ड कोल्ड ड्रिंक, लस्सी और पानी,
कोरोना के रहने तक बिलकुल भूल जाओ,
बैठे बैठे ऐसा रोज खाने से,
तुम कहीं फुटबॉल से ना फूल जाओ,
इसीलिए बेचारी रोज सुबह से शाम तक,
बी जे पी यानि बर्तन, झाडू, पौचा कराती है ,
बीस से पच्चीस बार साबुन से लगातार,
आधा आधा मिनट तक हाथ धुलवाती है,
न नुकर करने पर दिन में तारे दिखाती है,
फिर भी ना माने तो-
निश्चित एक घंटा तारे गिनवाती ही गिनवाती है !
आजकल कामवाली बाई नहीं आती हैं,
इन कामों से बेचारी इतना थक जाती है,
बिस्तर पर पड़ जाती है,
फिर भी कहती है -
बताओ खाओगे सूजी, दाल या गाजर का हलवा,
उसका प्यार, समर्पण देख,
मेरी आँखे भर जातीं हैं,
बांछे खिल जातीं हैं,
पर साँसें थम जातीं हैं ,
जब सुनता हूँ -
सुनो ! पहले थोडा तेल लगा दो,
बहुत दर्द कर रहा है मेरा दांया पैर और तलवा,
फिर बनाती हूँ,
सूजी का हलवा,
त्विषा ( ( मेरी ग्रैंड डॉटर का नाम है ) कह रही थी,
“ अम्मा ! मुझे बहुत पसंद है नार्मल हलवा !"
मैं मन ही मन बडबडाता हूँ,
जोर से नही कह पाता हूँ -
“ हरामखोर मुझे तो पागल बनाती है,
लेकिन बच्चों पर जान लुटाती है ! "

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