चमत्कार कितने होने लगे, मन की बात से,
भारत बदलने अब लगा है, मन की बात से,
जो रहे उपेक्षित देखो, कई दशक, साल से,
वही नये रास्ते दिखा रहे, भारत विकास के -
तकनीक देशी, अनुभवी सांचों में ढाल के !
दुर्लभ धरोहर, देश की, रखना सम्हाल के !!

प्रतिभाओं की खदानों से, खुद देख भाल के,
हम लाये हैं शहर, गांव से, प्रतिभा निकाल के,
सम्पर्क सीधे साधे, हर उस भारत के लाल से,
जो गुमनाम, सच्चे, हीरो हैं, भारत विशाल के।
मिले जौहरी इस देश को, कितने कमाल के !
दुर्लभ धरोहर, देश की, रखना सम्हाल के !!

ना हम मुरीद हैं किसी, बच्चन या खान के,
हैं हम तो मुरीद, इन के हुनर और ज्ञान के,
ये कर्मठ, सफल योद्धा हैं, ऊंची उड़ान के,
ये सच्चे, “ सुपर हीरो “ हैं, भारत महान के ।
रखना है इन सभी को हमें, बस सम्हाल के !
दुर्लभ धरोहर, देश की, रखना सम्हाल के !!

जो कह न सके, कभी अपने मन की बात को,
वह खुल के आज कहते हर, मन की बात को,
हो कर समर्पित, देशहित में, निस्वार्थ भाव से,
कर्तव्य पथ पर अग्रसर थे, स्वकर्तव्य भाव से ।
धरती से जुड़े, हीरो हैं सभी, बस कमाल के !
दुर्लभ धरोहर, देश की, रखना सम्हाल के !!

जो निर्णय लिया था तब हमने, दूर दृष्टि से,
अब मिल रहे हैं कोहिनूर, उत्कृष्ट सृष्टि से,
प्रतिभायें, डिग्रीयों की मोहताज कब रहीं,
ये भूमि सदैव धन्य थी, धन धान्य वृष्टि से ।
कुमकुम यही, चन्दन यही, भारत के भाल के !
दुर्लभ धरोहर, देश की, रखना सम्हाल के !!

जोड़ा है राष्ट्रवाद से, इस देश का जन जन,
मन बात सुन के मिल रहे, नित नये सृजन,
जिनकी प्रतिभा, सामर्थ्य से, है गूंजता गगन,
भारत ही नहीं, विश्व भी, करता जिन्हें नमन ।
बचना उनसे, जो दलाल हैं, फ्री के माल के !
दुर्लभ धरोहर, देश की, रखना सम्हाल के !!

जिन अनुभवों की देश को, चिन्ता न थी कभी,
कोई उन के मन की बात, सुनता न था कभी,
वही इतिहास, नया रच रहे, कितने धमाल से,
परखा नहीं हैं हम ने इन्हें, सिक्के उछाल के ।
हम हैं ॠणी, हर प्रतिभा धनी, भारत के लाल के !
दुर्लभ धरोहर, देश की, रखना सम्हाल के !!

अब स्पष्ट मन की बात से, सम्मान हैं मिले,
बे ईमानों के, षड्यंत्रों से, हम दूर ही पले,
सम्मान भूख बड़ी है, स्वप्न हैं उससे भी बडे,
पहचान को मोहताज थे, जो सब यहां खड़े ।
यहाँ बिन तराशे, रत्न छुपे, अनादिकाल से !
दुर्लभ धरोहर, देश की, रखना सम्हाल के !!

हर मन में बुलन्द हौसले हैं, ऊंची उड़ान के,
जो षड्यंत्र विफल कर रहे, हर बेईमान के,
रखना कदम जमीन पे, ज़रा देख भाल के,
हैं दबे यहां प्रतिभा धनी, भारत विशाल के ।
नव प्रेरणा, मिलती हमें, उस महाकाल से !
दुर्लभ धरोहर, देश की, रखना सम्हाल के !!

नित सूर्य, नये उग रहे हैं, अब स्वाभिमान के,
सर्वत्र चर्चे हो रहे, अपने इस, भारत महान के,
अब दुश्मनों को, उन के घर में, घुस के मारते,
कभी आतंकियों को मारते, बिल से निकाल के ।
दुनियां में कहीं और नहीं, अपनी मिसाल के !
दुर्लभ धरोहर, देश की, रखना सम्हाल के !!

चमत्कार कितने होने लगे, मन की बात से,
भारत बदलने अब लगा है, मन की बात से,
जो रहे उपेक्षित देखो, कई दशक, साल से,
वही नये रास्ते दिखा रहे, भारत विकास के -
तकनीक देशी, अनुभवी सांचों में ढाल के !
दुर्लभ धरोहर, देश की, रखना सम्हाल के !!

जय हिन्द !

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