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निष्कृष्ट मत समझो हमें, उत्कृष्ट हैं हम,
आओ चलो पहचान लो कि कौन हैं हम -

जिन्दगी की शान हैं,
अनुभवी इन्सान हैं,
हर पल नये अनुभव जुटा कर,
अनुभवों की खान हैं,
विपत्ति को अवसर बनाना,
हर हाल में भी मुस्कराना,
बखूबी जानते हैं हम ।
मत समझना हमें बूढा, बूढे नहीं हैं हम !

उम्र हम पर, मेहरवां है,
सांस, दिल, धडकन जबां है,
परिपक्वता अर्जित कर चुके हम
अब न कोई बचपना है,
सोच में, संवाद में,
अपनी क्षमता, सामर्थ में,
विश्वास फौलादी भरा दम ।
मत समझना हमें बूढा, बूढे नहीं हैं हम !

सिर पर सजी अब मेंहदी, चाॅदी,
क्योंकि झेले बहुत तूफान, आंधी,
तन कोशिका, हर रक्त कण में,
उन की शक्ति, रफ्तार बांधी,
हर चुनौती स्वीकार करना,
मुश्किलों से बच निकलना,
बखूबी जानते हैं हम ।
मत समझना हमें बूढा, बूढे नहीं हैं हम !

हैं आज भी मन में उमंगें,
चाहें अगर तो, आसमां छू लें,
आतुर कदम हैं, उच्च शिखरों पर,
चढें, नाप लें, चूमें,
राह में तारे बिछा दें,
स्वर्ग धरती पर बना दें,
बेहद जवां है दम ।
मत समझना हमें बूढा, बूढे नहीं हैं हम !

हम मानते, तुम जवां हो, तेज हो,
पर अनुभव तुम्हें है कम,
हम अशक्त, धीमे ही सही,
पर है संग अपने अनुभवों का दम,
खरगोश कछुए की कहानी,
निरन्तरता की निशानी,
आज तक, भूले नहीं हैं हम ।
मत समझना हमें बूढा, बूढे नहीं हैं हम !

अब युवा पीढी व्यस्त है,
बस धन कमाने में,
दौर ये भी, हम जी चुके हैं,
गुजरे जमाने में,
हसरतें मरतीं कहां हैं,
पर जानते फिसलन कहां है,
घुटता कहां है दम ।
मत समझना हमें बूढा, बूढे नहीं हैं हम !

नई पीढी पर समय है,
और हम पर भी समय है,
उन पर बचपन की सहर है,
पर उम्र का हम पर कहर है,
बचपन को कैसे तराशें,
कैसे ताकतवर बना दें,
ऐसे हुनर बहु जानते हैं हम ।
मत समझना हमें बूढा, बूढे नहीं हैं हम !

मित्र बच्चों को बना लें,
उनके उपजाऊ जहन में,
स्वअनुभवों के बीज डालें,
स्वप्न हर साकार करने,
की कला विकसित करा दें,
यश कीर्ति के शिखर पर,
उन को स्थापित करा दें
मन मुताबिक ढालने की,
बहु कलायें, जानते हैं हम ।
मत समझना हमें बूढा, बूढे नहीं हैं हम !

निष्कृष्ट मत समझो हमें, उत्कृष्ट हैं हम,
मत समझना हमें बूढा, बूढे नहीं हैं हम !

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