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आप चाहो ना चाहो, ये हक़ है तुम्हें,
मम सफर कोशिशों का रुकेगा नहीं,
तेरी चाहत का मुझको लगा रोग है,
दर्दे दिल आप के बिन, मिटेगा नहीं।
आप चाहो ना चाहो, ये हक़ है तुम्हें…
प्यार मेरा अगर एक तरफा सही,
प्यार तुम को भी हो, ये जरूरी नहीं,
रूपसौन्दर्य जो भा गया आँख को,
मंजूर किस्मत को हो, ये जरूरी नहीं,
मेरी किस्मत में गर, प्यार तेरा है तो,
आप का दिल ये पत्थर, रहेगा नहीं।
आप चाहो ना चाहो, ये हक़ है तुम्हें…
जिसको नयनों में मैंने संजो कर रखा,
आज तक कोई तुम जैसा पाया नहीं,
एक ही पल में तुम, भा गए जिस तरह,
आज तक कोई ऐसे तो, भाया नहीं,
हुई सफल हर तपस्या और आराधना,
भक्त, देवी से दूर अब रहेगा नहीं।
आप चाहो ना चाहो, ये हक़ है तुम्हें…
लाख कोशिश करें, भले हम या तुम,
आत्मा के मिलन पर, नियन्त्रण नहीं,
दिव्य पावन, आमन्त्रण, निवेदन है ये,
दुनियांदारी का झूठा निमन्त्रण नहीं,
रूह पर रंग चढा प्रेम, विश्वास का,
जन्म जन्मान्तरों तक छूटेगा नहीं।
आप चाहो ना चाहो, ये हक़ है तुम्हें…
उस की मर्जी से ही, हम तुम हैं मिले,
इन चाहतों में कोई, जी हजूरी नहीं,
मम समर्पण को दिल से ही स्वीकार लो,
“ प्रेम परसाद है “, कोई मजूरी नहीं,
यह नियति का दिया एक आदेश है,
लाख टालोगे लेकिन टलेगा नहीं।
आप चाहो ना चाहो, ये हक़ है तुम्हें,
मम सफर कोशिशों का रुकेगा नहीं,
तेरी चाहत का मुझको लगा रोग है,
दर्दे दिल आप के बिन, मिटेगा नहीं।
आप चाहो ना चाहो, ये हक़ है तुम्हें…

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