धीरे धीरे ,घटते घटते, फिर ओझल हो जाना,
यूँ घटते रहने का कारण, कुछ तो हमें बताना,
पुनः अचानक एक दिन आकर, बढ़ते रोज निरन्तर,
किस कारण तुम खुद ही, फिर से खो जाते घटघट कर ।
पूंछें बच्चे चन्दामामा, राज हमें बतलाना…
क्या अपने डैडी से खुद ही, छिप जाते हो डर कर ?
या अपनी मम्मी के संग में, खेल रहे लुक छिपकर ?
क्या परियों के देश को जाते, हलवा पूरी खाने ?
सही सही बतलाओ जल्दी, करो ना कोई बहाने,
आप बड़े हो मामा हम को, झूठ नहीं बहकाना ।
पूंछें बच्चे चन्दामामा, राज हमें बतलाना…
बहुरूपिये की भाँति रोज ही, रूप दिखाते जग को,
टिमटिम तारों के संग रहकर, बहुत लुभाते सबको,
दादा, दादी, नाना, नानी, कथा सुनाएँ हम को,
मनगढ़ंत बातें लगती ना, कभी बड़ों की हमको,
आज मगर हम असमंजस में, सत्य हमें बतलाना ।
पूंछें बच्चे चन्दामामा, राज हमें बतलाना…
बच्चों की अब बहुत किताबें, लिखतीं हैं क्यूँ ऐसा,
दादा, दादी जो बतलाते, चाँद नहीं तू वैसा,
मीलों लम्बे, चौड़े, गहरे, गड्ढ़े उस धरती पर,
किये परीक्षण बहुत वहां से, लाई उस मिट्टी पर,
ना मुमकिन है उस धरती पर, जीवन का मिल पाना ।
पूंछें बच्चे चन्दामामा, राज हमें बतलाना…
“क्या जीवन के संकेत नहीं, गर्मी, सर्दी काफी है,
जल का कोई अंश नहीं, और मिलती न टॉफी है,
पानी, टॉफी, चाकलेट संग, बहुत बबलगम लाना,
ऐ सी गाडी संग में लाना, देखो भूल ना जाना,
सैर कराऊंगा चन्दा पर, सच सब तुम्हें दिखाना ।”
पूंछें बच्चे चन्दामामा, राज हमें बतलाना…
दिखे दूर के ढोल सुहाने, बात यही सच निकली,
प्यारी दिखने वाली धरती, उबड़ खाबड़ निकली,
काम चलेगा नहीं कार से, ट्रेक्टर बेहतर होगा,
अच्छा है वह खेत जोतने का भी, काम करेगा,
ओ 2 लायेंगे पृथ्वी से, एच 2 सूरज से दिलवाना ।
पूंछें बच्चे चन्दामामा, राज हमें बतलाना…
सुबह शाम हम डांट खा रहे, बस डैडी, मम्मी से,
प्यार बहुत करते हैं लेकिन, न बात करें नरमी से,
हर पल ही चिल्लाते रहते, पढलो, पढलो, पढलो,
हम भी जिद्दी नहीं पढेंगे, चाहे जो भी कर लो,
नहीं जानते पर दोनों ही, बच्चों को समझाना ।
पूंछें बच्चे चन्दामामा, राज हमें बतलाना…
पृथ्वी ग्रह अब नहीं रहा है, हम बच्चों के लायक,
कर बैठे हैं बहुत प्रदूषित, जो बनते हैं नायक,
अपनी नन्हीं दुनिया होगी, अब तो उस चन्दा पर,
प्राणों से प्यारा लायेंगें, भारत का झन्डा पर,
चन्दा के चप्पे चप्पे पर, जिसे हमें फहराना ।
पूंछें बच्चे चन्दामामा, राज हमें बतलाना...
दूध के जैसा रंग तुम्हारा, प्यारा प्यारा मुखड़ा,
मम्मी, डैडी याद आयेंगे, यही हमारा दुखड़ा,
उनसे मिलने की आजादी, सुविधा देनी होगी,
चाँद से पृथ्वी राकेट वैन, प्रतिदिन फ्री चलेगी,
नींद आये जब मम्मी जैसी, लोरी हमें सुनाना ।
पूंछें बच्चे चन्दामामा, राज हमें बतलाना…
उडने वाले गुब्बारों में हम, एक टोकरी बांधें,
ले दिवाली के राकेट सब, ठीक निशाना साधें,
बैठ टोकरी में जब ऊपर, बहुत दूर पहुंचगे,
तभी दीवाली के राकेट हम, ऊपर शुरू करेंगे,
खींच हमें तब लेना ऊपर, धोखा मत दे जाना ।
पूंछें बच्चे चन्दामामा, राज हमें बतलाना….
ले ओजोन परत से “ओ टू", सूरज से हाइड्रोजन,
पानी बना चाँद को भर कर, रोपें पौधे, जीवन,
धीरे, धीरे चन्दा भी, जीवन अनुकूल बनेगा,
फिर जीवन, चन्दा धरती से, न अनजान रहेगा,
इस धरती से ज्यादा सुन्दर, चन्दा हमें बनाना ।
पूंछें बच्चे चन्दामामा, राज हमें बतलाना…
दीप दिवाली के जलते जब, तब ही राकेट मिलते हैं,
जो रोकेट हो जायं पुराने, बस फुस्स ही करते हैं,
अब दक्षिण में शिवकाशी को, खुद ही जाना होगा,
स्पेशल नए बड़े बहुत से, रोकेट लाना होगा,
छोटे छोटे इन रोकेट से, काम नहीं चल पाना ।
पूंछें बच्चे चन्दामामा, राज हमें बतलाना…
आरक्षित चन्दा की धरती, हम बच्चों की होगी,
किसी बड़े की वहां धांधली, बिल्कुल नहीं चलेगी,
बच्चों की दुनिया में बस, बच्चों का हुक्म चलेगा,
बिना हमारी परमीशन के, कोई घुस न सकेगा,
बच्चों की प्यारी दुनिया को, हमने वहां बसाना ।
पूंछें बच्चे चन्दामामा, राज हमें बतलाना…
श्री युत ऐ पी जे कलाम से, मन्त्र कोई ले आयें,
हम सबके आदर्श उन्हीं को, अपना गुरु बनायें,
राकेट तकनीकी के ज्ञाता, बच्चों के बने प्रणेता,
वही बना सकते हम सबको, देखो चन्द्र विजेता,
स्वर्णाक्षर में हमने उनका, नाम वहां लिखवाना ।
पूंछें बच्चे चन्दामामा, राज हमें बतलाना…
चन्द्र सतह पर अब भारत ने, ‘वाटर’ खोज लिया है,
‘नासा’ ने भी इसी सत्य को, अब कन्फर्म किया है,
शायद मानव जाति, प्रजाति, चन्दा पर मिल जाएँ,
सभी जीव जन्तु को मिलकर,अपना मित्र बनायें,
नए साथियों से मिलकर ही, हमने जश्न मानना ।
पूंछें बच्चे चन्दामामा, राज हमें बतलाना…..