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प्यार तुमको हृदय से किया है सनम,
इसका अहसास तुमको करा ना सका,
दुनिया दारी निभाना ना आया मुझे,
इतना विश्वास तुमको दिला ना सका।
भाग्यशाली समझता हूँ खुद को बहुत,
सुख बहुत मैंने पाए तेरे साथ में,
ज़ख्म दिल के भरे, छू के एक पल तुम्हें,
कोई जादू सा लगता तेरे गात में,
दुख की स्याह बदलियाँ खुद सिमटतीं गईं,
जिनको मैं खुद अकेले हटा ना सका।
प्यार तुमको हृदय से किया है सनम………..
नाग बदनामियों के ही डसते रहे,
पा के मुझको अकेला ही संसार में,
घाव पर घाव देती रही जिंदगी,
विष ही भरते रहे रक्त संचार में,
दर्द, विष युक्त हो, विष पुरुष श्राप से,
आज तक अपना दामन बचा ना सका।
प्यार तुमको हृदय से किया है सनम………..
ज़ख्म पर तुम लगाते रहे मरहमें,
प्रेम अमृत के प्याले भी तुमने दिए,
दुख मिटाने की हर चन्द की कोशिशें,
सर्व सुख तुम ने त्यागे हमारे लिए,
मैं अभागा रहा जिंदगी में सदां,
प्यार अमृत तुम्हारा पचा ना सका।
प्यार तुमको हृदय से किया है सनम………..
घाव तो भर गए तेरे स्पर्श से,
दाग लेकिन बचे हैं पुराने बहुत,
दाग दिल आत्मा से मिटे ही नहीं,
कोशिशें करके देखीं हैं हमने बहुत,
लाख अश्कों से धोये हैं एकांत में,
दाग दिल, आत्मा से मिटा ना सका।
प्यार तुमको हृदय से किया है सनम………..
तेरे अहसान इतने हैं मुझ पे सनम,
एक जंजीर सी ही पड़ी पाँव में,
जिनकी एवज में चाहत ने जो भी बुने,
स्वप्न बनकर रहे आज तक आंख में,
कष्ट तुमको न हो दुख मेरा देख कर,
सिर्फ इस डर से तुमको बुला ना सका।
प्यार तुमको हृदय से किया है सनम………..
लाख कसमें थीं खाई मगर मन ही मन,
मेरे गम का तुझे कुछ पता ना चले,
आँख मिल न सकी आया जब सामने,
हर छिपी बात आकर के, अटकी गले,
बेवशी यह हुई, रुंध गया फिर गला,
आँख से अश्रु टपके, छिपा ना सका।
प्यार तुमको हृदय से किया है सनम………..
मुश्किलें जब बढीं मुस्काराते रहे,
आह भरने औ’ रोने से क्या फायदा,
गर्दिशों में कहीं कोई चलता नहीं,
कोई कानून और ना कोई कायदा,
कायदे, वायदे, वक्त के दास सब,
वक़्त आया बुरा मैं बदल ना सका।
प्यार तुमको हृदय से किया है सनम………..
मांगता हूँ दुआ उस खुदा से सदां,
अपने हिस्से की खुशियाँ तुझे दे सकूँ,
और बदले में चाहूँ सनम मैं यही,
सारे चुन चुन के तेरे मैं गम ले सकूँ,
तेरी खुशियां बंधीं मेरे संग इस तरह,
उम्र अपनी तुझे दूँ, ना दुआ कर सका।
प्यार तुमको हृदय से किया है सनम………..
मुझको अहसास होता है हर पल यही,
तुम बसी हो हर धड़कन और सांस में,
तेरी खुशबू मुझ छल रही इस तरह,
जैसे बैठी हो हर पल तुम्हीं पास में,
याद रच बस गई मेरे तन मन में यूँ,
आज तक मैं तुम्हें ही भुला ना सका।
प्यार तुमको हृदय से किया है सनम………..
सिर्फ अहसास है, प्यार नपता नहीं,
आँख में आके खुद तुम ज़रा झाँक लो,
नयन दर्पण में मेरे ये मन आत्मा,
कितने बदरंग तुम बिन स्वयं आंक लो,
भाव प्रतिबिम्ब को, फिल्म या शब्द से,
रूबरू कोई अब तक करा ना सका।
प्यार तुमको हृदय से किया है सनम………..
एक तरफ़ा अगर प्यार मेरा प्रभो,
जन्म बन्धन ना उस पर कभी थोपना,
पूर्ण संतुष्ट हो यदि मेरे प्यार से,
प्यार उस आत्मा में तभी रोपना,
बोझ बनकर रहूँ मैं किसी पर कहीं,
रोग मैं ऐसा दिल को लगा ना सका।
प्यार तुमको हृदय से किया है प्रभो………..
प्यार तुमको हृदय से किया है सनम!
इसका अहसास तुमको करा ना सका,
दुनिया दारी निभाना ना आया मुझे,
इतना विश्वास तुमको दिला ना सका।
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