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साली का पत्र पत्नी के नाम
वर्ष 1996 की बात है मेरी पोस्टिंग आगरा में थी बच्चों की पढाई के कारण, मेरा परिवार अलीगढ रहता था हर सप्ताह और हर छुट्टी पर मैं अलीगढ चला जाता था। मेरे एक मित्र डॉ.अशोक शुक्ला, (जो आगरा कॉलेज में बॉटनी डिपार्टमेंट में प्रोफेसर थे और हमने साथ साथ एम एस सी आगरा कॉलेज से ही किया था। उनकी पत्नी मेरठ गर्ल्स कॉलेज में प्रोफेसर थीं अतः वह भी अकेले रहते थे। ), कहने लगे कि ताज महोत्सव शुरू हो रहा है और इनॉगरेशन के लिए गवर्नर आ रहे हैं, अभिनेत्री हेमा मालिनी के डांस का प्रोग्राम है, वी आई पी पास मिल गया है, चलो देख कर आते हैं। दूसरे दिन पीनाज मसानी की गजलों का प्रोग्राम था वो भी दूसरे दिन देखने चले गये। मेरी एक साली भी वहीं पास में रहती थीं। इन बातों पर आधारित एक हास्य रचना, सप्ताहांत से पूर्व ही मैंने लिखी जो आपके समक्ष प्रस्तुत कर रहा हूँ, आशा है आप को भी पसंद आएगी।
आदरणीय जीजी,
सादर नमस्ते !
लगता है आपके हालात
होने वाले हैं खस्ते,
आपको क्या मालूम
की आपके भविष्य पर,
खतरे के बादल
मडराते हैं,
क्योकि जीजाजी के लक्षण
कुछ बदले बदले नजर आते हैं.
सुना है -
अब तो बैंक से सीधे
गजलें सुनने,
नाच देखने चले जाते हैं,
इसीलिए रात को घर भी,
काफी देर से आते हैं.
मैंने तो अपना
फ़र्ज़ समझ कर,
आपको आगाह किया है,
ऐसी आदतों ने,
ना जाने कितने घरों को
बर्वाद किया है.
पता नहीं जीजाजी को भी,
इस उम्र में क्या सूझी है,
शायद इस का एक मात्र कारण,
आपकी उनसे दूरी है.
मेरी बात मान लो,
बच्चों को छोड़,
जीजाजी पर ध्यान दो.
यह सत्य है,
यथार्थ है,
ना मजाक है,
नाहिं कोई कपोल कल्पना,
यह समस्या जटिल है,
समझो अल्प ना.
आपकी छोटी बहन,
कल्पना.