सिर्फ प्रमाणों पर भारत की, बातें तुम्हें बताता हूं,
धूल हटा कर दर्पण से, सच्ची तस्वीर दिखाता हूँ|
सिन्धु सभ्यता, विविध कलाओं, ने भारत में जन्म लिया,
जग ने हम को गुरु मान कर, पीछे चलना सीख लिया,
नहीं किसी को कभी छला है, नहीं किसी से युद्ध किया,
सत्य, अहिंसा, भाई चारे का, इस जग को सन्देश दिया,
भारत के कदमों पर चलके, जग खडा हुआ, बतलाता हूं|
धूल हटा कर दर्पण से, सच्ची तस्वीर दिखाता हूँ।
अनादिकाल से अपना भारत, उत्कृष्ट ज्ञान का केन्द्र रहा,
समृद्धि, वैभव के कारण, स्वर्ण की चिडिया इसे कहा,
आये लुटेरे, हमको लूटा, और फिर हम पर राज किया,
नया नाम,भाषा,संस्कृति सब,अपना हम पर थोप दिया,
पर बुद्धि, ज्ञान, प्रतिभा, क्षमतायें, लुटतीं नहीं, बताता हूं।
धूल हटा कर दर्पण से, सच्ची तस्वीर दिखाता हूँ।
लूट के सब कुछ लगे बताने, सांप सपेरों वाला देश,
आर्यभट्ट जैसे अनेक थे, कहां गए उन के उल्लेख,
रामायण, महाभारत और, व्यावहारिक गीता उपदेश,
जहां निहित विज्ञान,आध्यात्म,जीवन के उत्तम संदेश,
दिव्य शक्ति, व्यक्ति, ग्रन्थों की, महिमा तुम्हें बताता हूं।
धूल हटा कर दर्पण से, सच्ची तस्वीर दिखाता हूँ।
योग हजारों साल पूर्व ही, भारत में जन्मा, पनपा,
चिन्ता, कुंठा मुक्त किया, दुखदर्द हरा तन का, मन का,
देख के इस की शक्ति, महत्ता, विश्व इसे अपनाता है,
जग इक्कीस जून को, अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस मनाता है
अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस जग, इक्कीस जून मनाता है,
योग से जीवन स्वथ्य बनाने, का भी हुनर सिखाता हूं।
धूल हटा कर दर्पण से, सच्ची तस्वीर दिखाता हूं।
कोविड से पहले करता था, पूर्ण विश्व जो अनदेखा,
क्वारंटाइन, मास्क, नमस्ते, का महत्व सीखा, देखा,
धर्म कथित यह कवच सुरक्षा, सदियों से अपनाये हैं,
वही तो अब विज्ञान ने भी, इस दुनिया को बतलाये हैं,
वैज्ञानिक तथ्य उकेरित मन्दिर, चलो तुम्हें दिखलाता हूं।
धूल हटा कर दर्पण से, सच्ची तस्वीर दिखाता हूँ।
ग्रन्थों में चर्चा है विध्वंसक, घातक युद्ध के यन्त्रों की,
भर सकते थे दिव्यशक्तियां,अभिमन्त्रित कर मंत्रों की,
आज जरूरत आन पडी है, वैसे ही हथियारों की,
याद रखेगी यह दुनियां, तेजस, ब्रम्होस प्रहारों की,
वैदिक, पौराणिक मन्त्रों की, ताकत तुम्हें दिखाता हूं।
सिर्फ प्रमाणों पर भारत की, बातें तुम्हें बताता हूं,
धूल हटा कर दर्पण से, सच्ची तस्वीर दिखाता हूँ।
धूल हटा कर दर्पण से, सच्ची तस्वीर दिखाता हूँ।।