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बड़ी नौकरी, नौकर चाकर, खूब धन दौलत,व्यापार
बडी डिग्रियां, वैवाहिक सुख के, न कभी बने आधार,
क्योंकि पत्नी की नजरों में पति है, महामूर्ख, अज्ञानी,
तीन लोक की सभी पत्नियां, पूज्य, श्रेष्ठ और ज्ञानी।

( कभी भूल से कह मत देना, धूर्त, क्रूर अभिमानी ! )

पत्नी से डरते हैं, ईश्वर, सुदामा, बिलगेट्स,अम्बानी,
व्यंगवाण, चिमटा, बेलन, कोई चप्पल खाए लखानी !

पत्नी में सम्पूर्ण समाहित, हर देवी के गुण, रूप,
पत्नी सब पर रहती हावी, हो चाहे रंक या भूप
निश्चित पत्नी में पाओगे, हर देवी का अवतार,
नौ विशिष्ट दैवीय शक्ति का, छुपा हुआ भण्डार।

नौ दिन देवी, पूजो न पूजो, पड़ता फ़र्क़ नहीं है,
पत्नी पग प्रतिदिन पूजा कर, तेरा स्वर्ग यहीं है,
निसंदेह पत्नी सेवा ही, बड़े पुण्य का काम !
निर्विघ्न तेरे बनते जायेंगे, सारे बिगडे काम।

बडे बुजुर्गों से अर्जित कर, अनुभव का भण्डार,
पत्नी तो चाहे केवल, निष्ठा, श्रद्धा, सेवा, प्यार,
तब ही पत्नी संग बीतेंगे, खुशियों के दिन चार,
तीन लोक में वैवाहिक सुख के, निम्न यही आधार

लिख अपनी धडकन, साँसों पर, बस पत्नी का नाम,
आँख मूंद सुन्दरता वर्णन, करना सुबह औ' शाम,
योग, साधना छोड़, दण्डवत, करना नित्य प्रणाम,
खुश हो कर पत्नी हर लेगी, तेरे कष्ट तमाम।
राम श्याम को छोड, तू भज ले, पत्नी नाम,
निर्विघ्न तेरे बनते जायेंगे, सारे बिगडे काम।

अल्लाह, जीसस, ब्रह्मा, शंकर, क्या राम औ’ श्याम,
गूगल पर ढूंढ, क्या किया किसी ने, पत्नी से संग्राम,
सभी जानते पत्नी क्रोध का, क्या होता अन्जाम,
इसीलिए सब डरते, जपते, बस पत्नी का नाम.
धर्म कर्म सब व्यर्थ, जपा कर तू पत्नी का नाम,
निर्विघ्न तेरे बनते जायेंगे, सारे बिगडे काम।

पत्नी ही हर दुख की हर्ता, पत्नी सेवा शुभ काम,
पत्नी सब का बल है लेकिन, निर्बल के बल राम,
जिस की कृपा मात्र से बनते, जग के सारे काम,
जिसके चरणों में ही मिलते, कामधेनु, सुखधाम।
क्या रक्खा है धर्म कर्म में, भज ले, पत्नी नाम,
निर्विघ्न तेरे बनते जायेंगे, सारे बिगडे काम।

पत्नी ही सर्वोच्च धरा पर, कहीं राम, ना श्याम,
क्या पत्नी इच्छा बिन प्यारे, भज पायेगा राम ?
पत्नी जब तक रहे मूड में, हर सुख हर आराम,
वरना कर देगी सुन बन्दे, तेरी नींद हराम।
छोड राम का नाम, भजा कर, केवल पत्नी नाम,
निर्विघ्न तेरे बनते जायेंगे, सारे बिगडे काम।

धर्म कर्म अब तेरा केवल, पत्नी को खुश रखना,
बाकी रिश्तों में मुश्किल, सामन्जस्य बनाए रखना,
किया उपेक्षित यदि पत्नी को, कर देगी बदनाम,
स्वयं सौंप दे उस के हाथों, जीवन डोर, लगाम।
छोड के रिश्तेनाते, बन जा, पत्नीभक्त गुलाम,
निर्विघ्न तेरे बनते जायेंगे, सारे बिगडे काम।

पति चाहे उन्मुक्त हवा में, दूर क्षितिज तक उडना,
पत्नी सीमित करती उसका, नैन परिधि तक उडना,
नैन डोर से बांधे रखती, न हो आंखों से ओझल,
डरती है कहीं पति न करदे, उसका जीवन बोझिल,
कोई न काटे पति के पर जो, झट से गिरे धडाम,
निर्विघ्न तेरे बनते जायेंगे, सारे बिगडे काम।

सुखमय वैवाहिक जीवन की, यही सफलता कुन्जी है,
नहीं आयकर, न जी एस टी, और न कोई चुन्गी है,
अपने जीवन में यह युक्ति, श्रृद्धा से अपनालो तुम,
है गारन्टी, तेरे जीवन के, सारे दुख, गम होंगे गुम।
क्या रक्खा है धर्म कर्म में, भज ले पत्नी नाम,
निर्विघ्न तेरे बनते जायेंगे, सारे बिगडे काम।

सात जन्म के बन्धन का सच, सात वचन का सार,
पतियों के वैवाहिक सुख के, यही गारन्टेड आधार,
काम नहीं आयेंगे तेरे, धर्म ग्रन्थों में लिक्खे उपदेश,
तू सामाजिक साधारण प्राणी, न कोई व्यक्ति विशेष।

यदि तू इन अनुभव आधारित, बातों का ध्यान रखेगा,
तुझे जन्मों तक, वैवाहिक सुख का, परमानन्द मिलेगा,
और निश्चित शादी के लड्डू का, प्रतिदिन भोग चखेगा,
तब शादी कर के पछताने का, ना कोई चान्स दिखेगा।

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