यह देश है धृष्टों, भ्रष्टों का …
यह देश है धृष्टों, भ्रष्टों का,
ड्रिंकर, रेपिस्ट, करप्टों का,
इस देश का यारो क्या कहना,
ये सब हैं भारत का गहना।
हम सबने है इनको सहना।।
यह देश है धृष्टों, भ्रष्टों का…
सरकारी अफसर, नेता, मंत्री,
पालें चमचे, गुर्गे, संतरी,
एक थैली के चट्टे, बट्टे,
पालें गुण्डे हट्टे कट्टे,
जो कोई सच्ची बात कहे,
सच कहने की ही मार सहे,
सुन लोग सभी भौचक्के हैं -
ये हमें कहते - " चोर उचक्के हैं।“
ये हाल है देखो धृष्टों का,
लाइसेंस लिए इन भ्रष्टों का,
ड्रिंकर, रेपिस्ट, करप्टों का,
यह देश है धृष्टों, भ्रष्टों का।
अपनों के लिए तलवार हैं सुन,
नैतिकता, मानवता सब गुम,
मन चाहे काम ही करते हैं,
थ्री डब्लू की लय सुनते हैं,
तुम भ्रष्टाचार कहो जिसको,
वह शिष्टाचार कहें उस को,
इस देश के ये रख वाले हैं,
हम कितनी ‘किस्मत’ वाले हैं।
ये हाल है देखो धृष्टों का,
लाइसेंस लिए इन भ्रष्टों का,
ड्रिंकर, रेपिस्ट, करप्टों का,
यह देश है धृष्टों, भ्रष्टों का।
ये रोब गांठते जलवे से,
इनका क्या जाता पल्ले से,
ये लेते खूब धड़ल्ले से,
डायरेक्ट नहीं, थ्रू दल्ले से,
सब लाइन पर आ जाते हैं,
कानूनी काम के चक्के से,
यदि बचना चाहो धक्कों से,
देकर ही काम हो पक्के से।
ये हाल है देखो धृष्टों का,
लाइसेंस लिए इन भ्रष्टों का,
ड्रिंकर, रेपिस्ट, करप्टों का,
यह देश है धृष्टों, भ्रष्टों का।
जो हरिश्चंद्र बन कर बैठे,
पथ धूल फांकते जो ऐठे,
कुछ चौके हैं, कुछ छक्के हैं,
पर अपनी बात के पक्के हैं,
वे ले कर काम कराते हैं,
अपना हिस्सा भी पाते हैं,
यहां हरिश्चंद्र बनने वाले,
तो जीते जी मर जाते हैं।
ये हाल है देखो धृष्टों का,
लाइसेंस लिए इन भ्रष्टों का,
ड्रिंकर, रेपिस्ट, करप्टों का,
यह देश है धृष्टों, भ्रष्टों का।
हमने जिन्हें चुन चुन कर भेजा,
वो ‘ फ्राई ‘ करें अपना भेजा,
जो आज जीतते इस दल में,
बिकते देखे अगले पल में,
गिरगिट से जल्दी रंग बदल
वह रंग जाते सत्ता रंग में,
अब कुछ भी अपने हाथ नहीं,
हम सब एकजुट और साथ नहीं,
कोई खुश हो या कोई ऐठे,
ये तो सब हथियाकर बैठे,
वो गोरे थे, ये काले हैं,
इस देश के रहने वाले हैं।
ये हाल है देखो धृष्टों का,
लाइसेंस लिए इन भ्रष्टों का,
ड्रिंकर, रेपिस्ट, करप्टों का,
यह देश है धृष्टों, भ्रष्टों का।
कुछ यहाँ फिलोस्फर, स्मोकर,
थोड़े थिंकर, ज्यादा ड्रिंकर,
कुछ को पैसे की बीमारी,
कुछ बने हुए हैं व्यभिचारी,
कुछ सिगरेट, पान के दीवाने,
कुछ बात वियाग्रा की माने,
इच्छित सेवा कर पुन्य कमा,
फिर चाहे जितना माल बना,
नुकसान का कोई चांस नहीं,
है इस धंधे में नफा .. . नफा,
जिन में इमानदारी का जज्बा,
वह बने हुए हैं खुद मजमा,
जिन्हें सच्ची बात सदां पचती,
उन की तो ना इज्जत बचती,
सब की नीयत मिलती जुलती,
रख मिलीभगत, किस्मत खुलती।
ये हाल है देखो धृष्टों का,
लाइसेंस लिए इन भ्रष्टों का,
ड्रिंकर, रेपिस्ट, करप्टों का,
यह देश है धृष्टों, भ्रष्टों का।
यह देश है धृष्टों, भ्रष्टों का,
ड्रिंकर, रेपिस्ट, करप्टों का,
इस देश का यारो क्या कहना,
ये सब हैं भारत का गहना।
हम सबने है इनको सहना।।