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हमारे मानविया जीवन में हम सभी मनुष्य की बहुत सी अधुरी ख्वाहिशें हुआ करती हैं । उसी से प्रेरित होते हुए कुछ पंक्तियां अर्ज़ है कि :- 

"आजाद पंछी बन अब हम दिखाएं,

अपने पिंजरे तक सीमित पर अब हम फैलाएं,,

 बारी अब हमारी है !

कि,

"उड़ ले रे इंसान, 

 उन सारी अधूरी ख्वाहिशों को,

पूरा करने की तैयारी है !!

" एक लंबी उड़ान ले रे इंसान ,,

 अभी बहुत सी अधूरी ख्वाहिशें बाकी है !

सारी ख्वाहिशों को पूरा करने के लिए ,

 बस एक लंबी उड़ान लेना बाकी है !!

इन चंद पंक्तियों से मेरा तात्पर्य यह है कि हर मनुष्य के जीवन में बहुत ऐसी ख्वाहिशें हुआ करती हैं जिन्हें हम पूरा तो करना चाहते हैं किंतु अपने जीवन कि परेशानियों में कैद होकर और उन परेशानियों से मुक्त होने के कारण हम सभी उन ख्वाहेंशो को कहीं भुल जाया करते हैं । जिस तरह से एक पंछी जब पिंजरे से आज़ाद होकर लम्बी उड़ान भरता है उसी तरह हमे भी उस आज़ाद पंछी की जीवन कि हर परेशानियों को हस्ते हस्ते हराकर अपनी उन सभी ख्वाहिशों को पूरा करने का प्रयास करते रहना चाहिए !! 

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