Image by Peace,love,happiness from Pixabay


नया भारत कैसा हो? यदि आप मुझसे यह प्रश्न पूछेंगे तो मेरा एक ही जवाब होगा, "हमारा नया भारत बिलकुल अपने पुराने भारत जैसा हो। मैं ऐसा क्यों बोल रही हूँ यह जानने के लिए पहले हमें अपने भारत का प्राचीन इतिहास जानना होगा, वह इतिहास जो देश-विदेश में प्रचलित है।

भारत भारत मेरा भारत,
तू है विश्व भर में महान।
तेरे वीरों ने इतिहास रचा
तू है संस्कृति की खान॥


भारतीय गौरवशाली इतिहास 

भारत में रहने वाला हर व्यक्ति इसके गौरवशाली इतिहास से परिचित है। वह इतिहास जिसकी शुरुआत सिंधु घाटी सभ्यता से माना जाता है। वह सभ्यता जो आज से तकरीबन ४०००-४५०० वर्ष पूर्व पायी जाती थी। यह वह सभ्यता है जहाँ वह सुविधाएं पायी जाती थी जो कहीं न कहीं आज हमारे पास है ही नहीं। 

ज़रा सोचिये, उस समय का भारत जहाँ रस्ते ९० डिग्री पर कटे होते थे, जहाँ मलजल को निकलने के लिए हर घर से एक सीवेज पाइप 'दक्षिण-पश्चिम' दिशा की ओर निकलती थी ओर मलजल महासागर में जाकर मिल जाता था, और आस पास घर और रास्तो पर मलजल नहीं होता था। इससे गंदे से होने वाली बीमारियां जैसे टाइफाइड, मलेरिया, कॉलरा तथा अन्य बीमारियां नहीं होती थी। हर घर एक कतार  में बने होते थे तथा घरों के बहार किलाबंदी कर दिया जाता था जिससे घर में रहने वाले लोग सुरक्षित रहें। बड़े-बड़े स्नान घर, भगवन शिव और विष्णु की मूर्ति, गाय पूजा, माता दुर्गा की पूजा आदि। हमारा ४५०० वर्ष पुराना भारत इतना विकसित था जैसा आज के विभिन्न देश सोच रहे अब बनाने को। 

हमें तो गर्व करना चाहिए की हम उस भारत से नाता रखते है जिसका इतिहास इतना गौरवशाली रहा है। हमारे वेद-पुराण  में जीवन की सार्थकता का वर्णन किया गया है, तरह-तरह के तकनीक और विज्ञान जो आज प्रचलित हैं, वह तकनीक और विज्ञान हमारे वेद-पुराण में हज़ारों वर्ष लिखा जा चूका है। संस्कृति का जन्म हमारे भारत से होता है। हमारी भारत माँ सनातन के साथ-साथ जैन और बुद्धा धर्म के महापुरुषों की जननी है । 

वह भारत जहाँ से चाणक्य  नीति का जन्म हुआ, जहाँ नालंदा जैसे विश्वविद्यालय उच्च शिक्षा प्रदान करते थे। वह भारत जहाँ बुद्ध और महावीर जैसे महापुरुष ने जन्म लिया, वह भारत जहाँ चन्द्रगुप्त जैसे राजा ने जन्म लिया, जहाँ राजा अशोक जैसे वीर ने जन्म लिया । वह भारत जहाँ पोरस जैसे राजा और देशसेवक ने सिकंदर जैसे बलशाली व्यक्ति को धुल चटा दिया, तथा उसे वापस जाने पर मजबूर कर दिया। वह भारत जहाँ गुप्त साम्राज्य का स्वर्ण युग इतना महान रहा। वह भारत जहाँ मौर्या, सातवाहन, शुंगा, कुषाण, पल्लव, नंदा, तथा पंड्या आदि जैसे साम्राज्य रहे। 

हमारा भारत तो वह भारत है जिसे मुहम्मद घोरी और तैमूर ने भर के लूटा, फिर भी हमारी संस्कृति और जड़ को कुछ न कर पाए। हम उस भारत से आते हैं जहा २३-२३ साल के भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु जैसे लकड़े अपने देश क लिए हँसते-हँसते फांसी के फंदे को गले लगा लेते हैं, वास् भारत जहाँ महात्मा गाँधी, चाचा नेहरू, सुभाष चंद्र बोसे, बाल गंगाधर तिलक, चंद्रशेखर आज़ाद जैसे महापुरुष जैसे महापुरुष ने जन्म लिया।

आदि-काल का भारत 

यह तो वो भारत था जो हम बचपन से विद्यालय में पढ़ते आएं हैं। हमारे भारत का वास्तविक इतिहास तो इससे भी कई वर्ष पुराना है। हमारा भारत तो वह भारत है जिसका व्याख्यान रामायण तथा महाभारत जैसे महान ग्रन्थ में किया गया है। वह भारत जो विज्ञान में निपुण था, वह भारत जो तकनीक में निपुण था, वह भारत जहाँ की अर्थव्यवस्था के कारण वह 'सोने की चिड़िया'  कहलाता था, वह भारत जहाँ की संस्कृति, जहाँ का भाईचारा देश-विदेश में प्रचलित है, वह भारत जहाँ माताओं-बहनों को देवी के रूप में देखा जाता था। 

हमारा वह भारत जहाँ वेद-व्यास, शंकराचार्य, वाल्मीकि, परशुराम जैसे महान ऋषियों ने जन्म लिया था, वो ऋषि मुनि जो बिना किसी तकनीकी यन्त्र के हमें आकाश, गृह-नक्षत्र आदि के बारे में बता के चले गए। विज्ञानं तथा तकनीकी यंत्रों का तो जन्मदाता ही हमारा भारत है।

हम तो उस भारत में रहते हैं जहा कभी किसी वास्तु की कमी रही ही नहीं, वह भारत जो अपने आप में सर्व व्यापी है, वह भारत जहाँ हर दिन कुछ नया होता आया है। हमारा भारत तो अपने आप में संपूर्ण है।

भारत: संस्कृति, विज्ञान एवं तकनीक की जननी  

आज अन्य देश जो खुद को विकसित बतातें हैं, उनकी जड़ क्या है? पहला विज्ञान और दूसरा उनकी अर्थव्यवस्था। अर्थव्यवस्था की बात तो हम क्या ही कहें, हमारा भारत तो 'सोने की चिड़िया' कहलाता था, जहाँ की अर्थव्यसवयास्था अन्य देश को इतना आकर्षित की कि वह खुद को रोक ही न पाए। 

अगर बात करें विज्ञान और तकनीक कि, तो इसका तो जन्मदाता ही हमारा भारत है। उदाहरण देखें तो दूरबीन, जो कहीं १६ शताब्दी में गालीलेओ ने बनाया, तथा उसके बाद हमें बताया कि पृथ्वी के भातिं और भी ग्रह हैं, नक्षत्र मंडल के बारे में बताया, तो यह पृथ्वी, सूर्य, चन्द्रमा, ग्रह-नक्षत्र, तारामंडल आदि का व्याख्यान तो हमारे ग्रंथों  में हज़ारो लाखों वर्ष पूर्व ही कर दिया गया था, वह ऋषि मुनि ने कौन से दूरबीन यन्त्र का इस्तेमाल किया था? हवाई जहाज जो अभी कुछ शतबी पूर्व बना, इसका तो श्रोत ही हमारा रामायण है, जहा रावण के पुष्पक विमान का वर्णन है। सूर्य से पृथ्वी कि दुरी अरिस्तारकुस ने ३०० इसा पूर्व में बताया, और हमारे हनुमान चालीसा में ही इसका वर्णन आदि काल में ही किया जा चूका था। यह तो कुछ ही उदाहरण हैं, भारत का इतिहास तो इतना प्रभावशाली और इतना बड़ा है जिसे कुछ शब्दों में बताया ही नहीं जा सकता।

नया भारत कैसा हो तथा इसे कैसे बनाएं?  

आप मुझसे पूछेंगे की नया भारत कैसा हो तो मैं तो यही बोलूंगी की नया भारत बिलकुल अपने पुराने भारत जैसा हो। हमारे भारत का तो इतिहास इतना गौरवशाली रहा है कि हमें कुछ नया करने कि आवश्यकता ही नहीं है। जिस भारत का इतिहास ऐसा रहा वह तो अपने आप में संपूर्ण तथा निपुण है। हमें आवश्यकता है तो सिर्फ अपनी जड़ को मज़बूत करने की, अपने पुराने भारत को वापस लाने की।

जिस प्रकार पतझड़ के मौसम में वृक्ष अपने पुराने पत्ते गिराता है और उसपर नए पत्ते आते हैं, परन्तु यह तभी सुनिश्चित हो सकता है जब उसकी जड़ें मज़बूत हों। यदि उस वृक्ष की जड़ें कमज़ोर हुई तो उसपर कभी नए पत्ते नहीं आ सकते। ठीक उसी प्रकार, यदि हमें नया भारत चाहिए तो हमें अपनी जड़ों को मज़बूत करने की आवश्यकता है। यदि हमारी जड़ें मज़बूत रहीं तो हमें अपने आप एक नया भारत मिलेगा, जो बिलकुल अपने प्राचीन भारत जैसा होगा। 

भारती भूमि सुंदर, सांस्कृतिक धरोहर विशालं।

भारत के लोग हैं प्रेमी, भाई-चारा है अटल॥

निष्कर्ष 

हमारा नया कैसा हो? हमारा नया भारत वो भारत हो जहाँ का भाई-चारा अटल हो, जहाँ संस्कृति का उद्धार हो, वह भारत जो विज्ञान और तकनीक में निपुण हो, जहाँ की अर्थव्यवस्था देश-विदेश में प्रचलित हो, जहाँ माताओं-बहनोंको देवी का दर्जा दिया जाये, जहाँ ऊँच-नीच जाती धर्म जैसे भेद-भाव न हों, जहाँ के लोगो में एक दूसरे के प्रति निःस्वार्थ प्रेम की भावना हो, अर्थात, हमारा नया भारत आदि-काल के भारत जैसा हो।

.   .   .

Discus