तू सीता है, तू लक्ष्मी है
सुख समृद्धि घर की सारी हैं,
तू आज की बर्बर दुनिया मे
मानवता की रखवाली है।
तू सीता है, तू लक्ष्मी है
सुख समृद्धि घर की सारी हैं।
तू ना दासी है, ना अबला है
ना कल की बेचारी नारी है,
इस विकसित होते समाज की
तू एक शिक्षित नारी है।
तू सीता है, तू लक्ष्मी है
सुख समृद्धि घर की सारी हैं।
तू जननी है, तू ममता है
तू भी जीने की अधिकारी है,
पुरुष प्रधान समाज में
पहचान बनाने वाली है।
तू सीता है, तू लक्ष्मी है
सुख समृद्धि घर की सारी हैं।
तू धारी है, तू कटारी है
तू जीवन देने वाली है,
कोमलता ह्रदय मे लिए हुए
तू स्नेह की फुलवारी है।
तू सीता है, तू लक्ष्मी है
सुख समृद्धि घर की सारी हैं।
तू बेटी है, तू पत्नी है
तू गर्भ मे रखने वाली है,
स्वयं अधर्मी लोगों का
तू मर्दन करने वाली है।
तू सीता है, तू लक्ष्मी है
सुख समृद्धि घर की सारी हैं।
तू संस्कृति है, तू शक्ति है
तू जाग्रति होती नारी है,
लैंगिक भेदभाव मिटा
तू साथ मे चलने वाली है,
तू सीता है, तू लक्ष्मी है
सुख समृद्धि घर की सारी हैं।