कभी किसी के पास कुछ नहीं होता । फिर भी वह खुश रहता । एक ऊर्जा होती । एक आत्मविश्वास होता । वह कम बोलता है । ज्यादा खुश रहता है और हिम्मत होती है । कोई भी भेय नही होता । नाही सेहत का न ही धन का न ही दुनिया में किसी कमी का ।
क्यूं ? क्यूंकि उसे विश्वास होता है । अपनो पर, अपने आप पर, दुनिया पर । ईश्वर की शक्ति पर । माता पिता के आशीर्वाद पर । परंतु जीवन हमेशा एक सा नहीं होता । विचार एक से नही होते । वक्त के साथ साथ बदलाव आते रहते है । हमेशा सुख ही नही रहता । मन विचलित, भय, चिंता का भी दौर होता है ।
उपाय ? कई बार देखा गया है। कोई व्यक्ति उसके पास सब कुछ है फिर भी संतुष्ट नहीं होता परेशान रहता है । पर यह भी सच है समझदारी, सहनशीलता, आपको कोई भी परिस्थिति में खुस रहने का स्त्रोत हो सकता है । किसी के पास अच्छे जूते नहीं तो किसी के पास पैर ही नही । किसी के पास धन नही तो किसी के पास अन्न ही नही । किसी के पास आलीशान घर नहीं तो किसी के पास घर ही नही । इंसान या तो उस परिस्थिति को बदलने के प्रयास में लग जाए या उससे स्वीकार करने में । तभी वह शांत रह सकता है । जब हमारी बोली मिट्ठी और कम होती है हम बलवान होते है । जब हम कमजोर होने लगते है तब जुबान कड़वी और ऊंची होने लगती है ।
जीवन के इतने प्रतिस्पर्धा में आगे बढ़ने के होड़ में हर कोई अपने आप को समझने में साबित करने में । आगे होने में बहुत कुछ पीछे छोड़ जाता है । पर यह भी उतना ही सत्य है की यही परिस्थिति आपके इर्द गिर्द किसी की भी हो सकती है ।
जीवन का सार यही है । किसी भी व्यक्ति, वस्तु, परिस्थिति को स्वीकार करने में ही मन की शांति है । और उस परिस्थिति के परेशानी से बाहर आने के उपाय है उससे निरंतर बदलने की कोशिश । खरघोस तेज दौड़ कर भी हार गया था, और कछुआ धीमी गति से भी जीत गया था । क्यूंकि खरगोस कही न कही किसी व्यक्ति वस्तु परिस्थिति के अभाव में या पराभव में अटक गया, अपना प्रयास रोक दिया था, या गलत समय पर स्थगित कर दिया था। कछुआ अपनी हर स्थिति में चले जा रहा था और जीत गया ।