Image by StockSnap from Pixabay 

हर किसी में एक डर होता है । एक कमजोरी होती है । कही न कही पीछे न रह जाऊं । लोग क्या कहेंगे उसका । अंदर ही अंदर खुद से, खुद के विचारो से हमेशा एक कश्मकश चलती रहती है । उसका हमेशा विपरीत परिणाम आता है । ना ही हम अपने आपसे परेशान होते बल्कि आसपास का वातावरण और लोग को भी कर देते है ।

कैसे ?

यह सिलसला बचपन से ही आरंभ हो जाता हैं। और यह आदत सवभाव (हैबिट्स बिकोम्स नेचर) में कब बदल जाता है पता ही नही चलता । अगर घर में भाई बहन है तो खिलौना टूटने पर, मां या पिता के डर से हमेशा अपना कसूर न मान कर एक दूसरे पर इल्जाम लगा देते है ।

दोस्तो में कही मेरी दोस्ती न टूट जाय जो मेरा जिगरी दोस्त है । वोह किसी गलती को स्वीकार करने की बजाय माफी मांगने के बजाय दूसरे दोस्त पे इल्जाम लगा देते है । और यह भी हों सकता है की जिसपे इल्जाम लगाया वो हमारा जिगरी दोस्त हो । हम एक अच्छी दोस्ती खो देते ।

वैसे ही ऑफिस में काम करते कर्मचारी मेरी नौकरी न चली जाय मेरा वेतन उससे कम न हो, वो मुझसे आगे न निकल जाए, तो बॉस की केबिन के बाहर एक जुट होकर सहयोग करने की बजाय, उसके खिलाफ शिकायते का फैलाव करते है ।

लेकिन इस व्यस्त जीवन में माता पिता के पास समय के अभाव से सच और झूठ को जाने बिना अपनी प्रतिक्रिया दे देते है। जाने अंजाने दोनों बच्चों के बीच सामंता, और समान न्याय नहीं कर पाते ।

स्कूल में टीचर भी कुछ काबिल स्टूडेंट्स के इलावा सही गलत जानें बिना कई बार गलत परिणाम दे देते है । दोस्तो में मुझे कोन प्रिय है कोन नही उसपर न्याय अन्याय का परिणाम आता है । और ऑफिस में बॉस के पास भी न ही समय न ही उसकी रुचि की किसी भी बात के गहराई पे जाने की बजाय । जाने अंजाने निर्णय हों जाता हैं । और समाज में किसकी मुझे जरूरत है किसकी नहीं उसपे न्याय अन्याय परिणाम निर्भर है ।

लेकिन वही भाई या बहन कहे मां गलती उसकी नही मेरी है । दोस्त अपनी गलती मान कर माफी मांग ले । या कर्मचारी अपनी गलती को स्वीकार करे । और भाई, दोस्त , कर्मचारी दूसरे की गलती बताने के बजाय उसे सुधारे के दोबारा न हो । हर रिश्ता, दोस्ती, कर्म सहयोग से करे सहमति से करे शिकायत नहीं सुधारने के लिए करे उससे कहा जा ता है "टीमवर्क" ।

एक पौधा एक पौधा कहा जाता है । कई पौधे बगीचा कहा जाता हैं । एक से नही चार लोगों से घर होता । चार घर से मोहल्ला होता है । चार मोहल्ले से सहर । अकेले आए है अकेले जाना हमारे हाथ नही पर अकेले रहना के एक साथ यह हम तै कर सकते है। " टीमवर्क "

.     .     .

Discus