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आज संध्या की बेला में
कुछ लिखने का मन हुआ है
पर क्या लिखूं पक्षियों की चहचहाहट
या ठंडी हवाओं का बहना
या फिर इन लाल सुर्ख बादलों
का इधर उधर होना
यह सभी है मन को भाते
खुले अम्बर के नीचे
ठंड ठंड मंद मंद हवाएँ
कुछ होने का है अनुभव कराती
आज संध्या की बेला में
कुछ लिखने का मन हुआ है
इन अनुभवों को मैं अपने मन में
संचित करना चाहता हूं
किंतु क्या वास्तव में यह संभव है
नहीं, परंतु है।
हरे हरे पेड़ पौधे आज मेरे सामने
कुछ कहना चाहते हैं किंतु
मुझे उस बात को सुनने के लिए
उनके संग बैठना होगा
आज संध्या की बेला में
कुछ लिखने का मन हुआ है
यह पक्षी आज मुझसे कुछ कहना चाहते हैं
हम सब मुझसे पूछना चाहते हैं कि
उनका क्या दोष है कि
उनके साथी छीन लिए गए
जो कि उनके साथ इसी
धरती के मिट्टी से एक साथी के
रूप में उत्पन्न हुए थे लेकिन
उनके उपस्थित ना होने से अत्यंत व्याकुल है वो
आज संध्या की बेला में
कुछ लिखने का मन हुआ है
मानव की लालसा ने
उन सभी को उनसे छीन लिया है
इस को सुनते ही मेरा मन
सिकुड़ जाता है किसी कोने में
किन्तु मनुज का कर्तव्य
आज सभी कर्तव्यों में श्रेष्ठ हुआ है
उन पेड़ो व पौधो को उनके मित्रों से मिलाएं
उनके मित्रों से मिलाने का एक सफल प्रयास करे
आज संध्या की बेला में
कुछ लिखने का मन हुआ है।

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