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प्रभु नाम का जाप किए जा,
जग में रहकर काम किए जा।
गिरपड़कर ठोकर खाकर,
फिर संभल कर खूब जिए जा।
जीवन है यह मृत्यु नहीं,
फिर काहे को भय खाता है।
बीत जाए जो क्षण,
वह लौटकर नहीं आता है।
मत कर व्यर्थ तू जीवन को,
यूं चलाकर फटफटिया।
बैठाकर इन कुर्सियों पर,
बनी है ये तेरे लिए।
रखी हैं ये किताबे सारी,
कभी इनको तो खोलाकर।
देख, पढ़ और समझ
इन शब्दों को
चीख कर रोकते हैं तुझको,
बुलाते और दिखाते हैं।
इतिहास के कई संघर्षों को,
जिनमें छुपी गाथाएं महापुरुषों की,
कहती हैं देख और सीख
और कर निर्माण
एक विशाल चरित्र का,
जिसमें समा सके सभी गुण।
बना एक ऐसा व्यक्तित्व,
जिसमें हो पौरूष और सामर्थ्य।
कर समृद्ध अपने जीवन को,
दिखा नव दिशा समाज को,
बन मार्गदर्शक युवाओं का।