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आँसू होते परिचायक
अंतर्मन की स्थिति के
किंतु ये आँसू भी न
जाने कब आए कब नहीं
हमने तो सुना है बहुत
कि आँसू होते खुशी के और गम के
किंतु जाने कौन किसके
कौन से है आँसू
क्योंकि आँसुओं के रंग तो
केवल एक है
अंतर मन को प्रकट करना
इन सभी स्थितियों से परे
एक है स्थिति पश्चाताप की
पश्चाताप एक ऐसा न्याय है
परमात्मा का
जो अंदर बने राक्षस की
प्रतिमा को है तोड़ता
पश्चाताप निकालत है
खरोच खरोच कर पाप को
और आँसू इस पीड़ा के
प्रत्यक्ष स्वरूप है
पश्चाताप मनुष्य को जीने नहीं देते
जब तक वह निचोड़ ना दे
वो पापों से भरे एक-एक कण को
सच कहते हैं
कुछ पापों के पश्चाताप
खाने लगते हैं मनुष्य को
वह भी इतना कि
निरंतर कष्ट छीन लेता
चाह मनुष्य के जीने की
पाप ऐसा ना हो जो
छीन ले जीने की चाह तुम्हारी
और परमात्मा को भी हो लज्जा
तुम्हारे निर्माण पर

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