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क्या तुम्हें पता है
रोटी का एक नाम
और भी है?
सोचो-- 
न सोच पाए न?
दूसरा नाम है भूख।
जब यह रोटी पेट में
न जाए, तो भूख बन जाती है।
अगर तुम्हें महसूस करना है
तो एक दिन न खाकर देखो 
भूख समझ आ जाएगी।
देश में सरकार 
कितना भी दवा करें विकास का।
पेट की जठराग्नि 
शोर कर ही देती है 
परहेज नहीं है कोई उसे,
इस बात की उद्घोषणा करने में
कि हां, पेट नहीं 
भरा है देश के लोगों का।
सरकारी योजनाओं का
कितना ही डिंडोरी पीठ ले सरकार; 
जब 105 में ही स्थान पर
आ जाना है भुखमरी में,
तो क्या सरकार,
क्या योजना, 
क्या तंत्र है ?


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