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विज्ञान के जगत में,
एक अलख जगता भारत।

अंधविश्वास की दुनिया से,
अब निकलता भारत।

 विज्ञान की ललक से,
 विज्ञान के संकट को दूर करता भारत।

आर्यभट्ट और ब्रह्मभट्ट के,
 पद चिन्हों पर चलता भारत।

साइकिल के पहियों से,
चांद तक की दूरी तय करता भारत।

धवन और कलम के सपने,
सच करता भारत।

साइकिल से यंत्र सहेज कर,
रॉकेट की उड़ान भरता भारत।

चंदा मामा दूर के नही अब,
पास के बनाता भारत।

असंभव को अब सहज,
संभव बनाता भारत।

चंद्र के लिए,
'चंद्रयान' भेजता भारत।

'सतीश धवन स्पेस स्टेशन' से निकल,
शशांक का स्पर्श करता भारत।

वैज्ञानिक प्रवृत्ति की ओर,
अग्रसर होता भारत।

विक्रम साराभाई के सपने को,
 प्रकाशमान करता भारत। 

दक्षिण ध्रुव पर सॉफ्ट लैंडिंग कर,
सर्वप्रथम का छाप छोड़ता भारत।

विक्रम से प्रज्ञान निकाल,
अशोक स्तंभ को प्रतिपादित करता भारत।

चित्रों और चलचित्रों को,
पृथ्वी पर भेज गौरवान्वित करता भारत।

ईंधन की बचत कर,
गुरुत्वाकर्षण का प्रयोग करता भारत।

पश्चिम के अट्ठाहास को,
ठेंगा दिखाता भारत।

केवल 75 मिलियन डॉलर से,
दुनिया के समस्त देशों को पछाड़ता भारत।

केवल रूस, अमेरिका, चीन के बाद 
कम पर चांद पर एतिहासिक कदम रखता भारत।

मात्र डेढ़ बिलियन डॉलर बजट के साथ,
कीर्तिमान स्थापित करता भारत।

'इसरो' की पहचान को,
ठोस बनाता भारत।

ऐतिहासिक क्षणों का,
साक्षी होता भारत।

विज्ञान में जगता भारत,
विज्ञान में जीतता भारत।

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