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एक एक तिनका जोड़ कर,
अपना आशियां बनाती है
छोटी सी ये गौरैया
बड़े काम कर जाती है।
एक एक दाना चुग चुग कर,
अपना पेट भरती है
और साथ ही अपने बच्चों, का भी सृजन करती है।
धूप, हो या छांव, बारिश हो या तूफान,
हर मुश्किल से अपने परिवार को बचाती है।
मुश्किल से तुम ना घबराना
ये भी हमें सिखाती है।
फिर क्यूं हम इन्सान इतने मतलबी हो गए?
इस नन्ही सी जान को मारने के लिए इतने आतुर हो गए।
जिनकी चहचहाहट से खुलती हमारी नींद है,
जिनकी चुलबुली उड़ान से मुस्कुराती हमारी ज़िन्दगी है।
आज आधुनिकता की चादर ओढ़े, इन मासूमों की ज़िन्दगी का गला 'हम' घोंट रहे।
पेड़ों पर फुदकती रहती और ग़ज़ब के करतब दिखाती,
पलक झपकते एक डाली से दूसरे पर जा बैठती।
चलो आज मिल कर ये प्रण करते हैं,
अपने साथ साथ इनकी भी ज़िन्दगी बचाने की कसम खाते हैं।
वापिस से इन्हें अपनी दुनिया में लाना है,
इनकी मीठी बोली सुनकर ही सुबह की रोशनी देखना है।
इनकी मीठी बोली सुनकर ही सुबह की रोशनी देखना है।

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