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एक सुबह ऐसी हो
ना कोई मुश्किल, ना ही कोई परेशानी हो।
सुकून की चादर ओढ़े,
बस मोहब्बत और चेहरे पर रवानी हो ।
इतनी सी है ख्वाइश मेरी।
चाय की चुस्की के साथ, हल्की धूप और ठंडी हवा हो
दिल में भीनी सी खुशी और चेहरे पर मुस्कान हो
ना ऑफिस जाने की हड़बड़, ना काम का कोई प्रेशर हो
बस मोहब्बत और चेहरे पर रवानी हो।
इतनी सी है ख्वाइश मेरी।
खिड़की के बाहर चिड़ियों को वो मीठी चहचहाहट हो
फूलों पर बैठे ओस और उनकी मुस्कुराहट हो
धीरे से दिल में आती खुशियों की आहट हो
ना रहे मन में कोई दुविधा और न ही घबराहट हो
बस मोहब्बत और चहरे पर रवानी हो
इतनी सी है ख्वाइश मेरी।
ना किसी से द्वेष, ना ही कोई मनमुटाव हो,
सब रहे खुश, और सबका परिवार साथ हो,
खाने की मेज़ पर हंसी और ठिठोली हो,
अख़बार के पलटते पन्नों की आवाज भी हो,
बस मोहब्बत और चहरे पर रवानी हो
इतनी सी है ख्वाइश मेरी।
उगते सूरज के साथ, हौसला भी बुलंद हो,
अपनों का साथ और दिल में जुनून हो,
कुछ कर दिखाने की चाह लिए, मन में दृढ़ संकल्प हो,
जीत का आग़ाज़ और कामयाबी का शंखनाद हो
साथ ही मोहब्बत और चहरे पर रवानी हो,
इतनी सी है ख्वाइश मेरी।

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