आज सोचा बात करें
कुछ है सो आपसे साझा करें!
अब तक सोचा नहीं था
उससे अलग होना इतना खलेगा !
बेपनाह दर्द सहा है जीवन में,
और सब को पार भी किया है मैंने,
लेकिन ये दर्द कुछ ऐसा मिला,
निकलने का मौका ही नहीं दिया वक़्त ने.
पता था मुझे भविष्य में क्या होना है,
फ़र्ज़ की लकीर पार नहीं करनी है,
ज़िम्मेदारियों से पीछे भी नहीं हटना है,
इस मुए दिल को कौन समझाए,
मोहब्बत है जनाब, पूरी थोड़ी होगी !!
एक बेनाम से रिश्ते को जीए जा रहे थे,
पर कसम से, एक अलग ही सुकून में जी रहे थे.
नाम वाले रिश्ते ने जो दर्द दिया,
बेनामी मलहम ने उसे भी भर दिया.
और चाहिए क्या ज़िन्दगी में यारा,
मोहब्बत तुमने लुटा दिया जो इतना सारा.
जीवन में कई लोगों से मिलते हैं,
बिछड़ भी जाते हैं, लेकिन कुछ ऐसे होते हैं,
जो बिन बुलाये मेहमान की तरह दिल में घर कर जाते हैं...
और यही मेहमान न जाने कब मालिक बन बैठते हैं.
कसम से, जो हक़ ये जमाते हैं,
विश्वास और भरोसे की न मिटने वाली लकीर खींच डालते हैं.
हमारा रिश्ता जैस भी था, बहुत खूबसूरत था और हमेशा रहेगा.
बहुत कोशिश करी, तुमको भूल जाने की,
उन यादों को मिटा देने की, पर क्या है न,
उन यादों को मैंने जी लिया था,
और जीवन को कैसे मिटाऊँ,
ये समझ ही नहीं आ रहा.
हर दिन इस उम्मीद में रहती हूँ
शायद तुम, कुछ नहीं तो इंसानियत के नाते ही
एक बार हाल चाल ले लोगे
लेकिन समझते हैं, फ़र्ज़ और ज़िम्मेदारी की बेड़ियों में
तुम भी जकड़े हुए हो, और सही भी है.
पर हम अब मुक्त होना चाहते हैं,
अब सिर्फ़ तुमसे मोहब्बत करना चाहते हैं,
बिना किसी बात, बिना किसी शर्त और बिना किसी नाम के
बस जज़्बातों की एक डोर, हमेशा एक सच्चे रिश्ते की ओर.
इंतज़ार नहीं करना चाहते, इसलिए तुमसे बहुत दूर जा रहे,
और अपनी सारी मोहब्बत तुम पर लुटा कर.
अब चाह कर भी, ये मोहब्बत किसी की होगी नहीं.
कभी नहीं!!