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मेहनत पूरा करते अरमान,
अपनी आंखों से सीखो,
कभी हंसना ,कभी रोना,
समय के साथ साथ चलो,
अवसर कभी मत खोना।
कठिनाई से भरी हुई ,
पथरीली अपनी राह है,
पड़ाव बहुत मिलते हैं ,
पर मंजिल अपनी चाह है ।
देखो कभी धूप, तो कभी,
मिलती हमको छांह ,
खुद को बुलंद कर लो,
ना पकड़ो किसी की बांह ।
झूठ नहीं ,फरेब नहीं ,
सच में रहो तुम,
धोखा ना दो किसी को,
इमानदारी से जियो तुम ।
उजालों की तरफ बढ़ो ,ना हो अंधेरे में गुम
दुनिया में गम भी हैं, कभी किसी से कहना ना तुम।
हां अगर जुल्म तुम पर हो ,
चुप रहना ना तुम ,
पर्वत की ऊंचाई के जितने,
बढ़ना सीखो तुम ,
और,
मां-बाप के सपने पूरे करो तुम।।  

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