उसको देखते तो रोज हूं पर कहने की हिम्मत नहीं होती
चांद सा स्वभाव है उसका तब ही उस तक मेरी बात नहीं पहुंचती
सोचता है समझता है और बातें भी सुनता है
पर मैं जो कहना चाहती हूं समझता ही नहीं
चांद सा दूर होकर सितारों के साथ है
हमारा साथ मुकम्मल नहीं
इस बात का हमें पूरा एहसास है