रुकना नही दौड़ना चाहती हूँ
इस जिंदगी को जीना चाहती हूँ
है उड़ना है उच्च मुझे मगर
अपनो के साथ रहना चाहती हूँ
पंखों को फैलाकर ऊची उड़ान भरना चाहती हूँ
रुकना नही दौड़ना चाहती हूँ
जितना चाहती हु हर एक बाजी को
पर सच का साथ बनाए रखना चाहती हूँ
हा उड़ना है मुझे बहुत ऊंचा पर
फर भी में धरती माँ से जुड़ा रहना चाहती हूँ