जी हाँ जनाब,
मैं एक छोटी चींटी हूँ ,
लेकिन आप मेरे
कद पर न जाइये,
मेरी इक्षा-शक्ति और संकल्प से
कुछ सीखिए जनाब,
आपका कल्याण होगा,
मेरी मंजिल,
कितनी ही दूर क्यों न हो,
मेरे रास्ते में,
अति दुर्गम बाधाएं क्यों न हों,
मैं अपने बिंदु पा ही लेती हूँ,
चाहे, जंगल की घनीं घास हो,
या अंतहीन रेगिस्तान में बिखरी मोटी रेत,
पोखर में ठहरा हुया पानी हो,
या नदी की बहती जल धारा,
गगन चुम्बी इमारतें हों,
या पहाड़ों के दुर्गम ढलान,
मैं अपने रास्ते खोज ही लेती हूँ.
प्रकृति ने मेरे साथ भी
बहुत अन्याय किया है जनाब,
लेकिन फिर भी,
मुझे, अपने लिए,
कोई सहारा, हमदर्दी,
या आरक्षण नहीं चाहिए,
तब अनायाश ही आश्चर्य होता है,
कि लम्बे चौड़े कद बाले इंसान को,
आरक्षण क्यों चाहिए ?