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जिनसे मिले एक जमाना हुआ,
आज कैसे उनका हमारे दर आना हुआ।
इश्क में उनकी मिलावट तो जरूर है ,
जुल्फे का जिनकी नशा आंखों का जिनकी मयखना हुआ।
उनके दीदार को तो महफिलें भरी रहती है,
मैं अकेला थोड़े ही था जो दीवाना हुआ।
तितली की तरह है बर्ताव मेरे यार का ,
छोर देते है फूल को जैसे ही वो पुराना हुआ।
हम तो बस अपने दिल की कहते हैं,
और लोग कहते हैं मेरा मिजाज़ शायराना हुआ।

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