सिर्फ हालत देखकर एक या चार बातें सुनकर आप किसी और के गम और परेशानियों का अंदाज़ा ना ही लगाएं तो अच्छा है ।क्योंकि समंदर किनारे पर बैठकर तूफान का सिर्फ अंदाजा ही होता है, एहसास नहीं । इसलिए। अगर आपको पूरी बात पता नहीं है तो जानने को कोशिश करने से पहले उसका मूल्यांकन न करें ।
क्योंकि ऐसी स्थिति में आप हाल की परिस्थिति का अंदाजा लगा सकते हैं पर दरअसल बात क्या है ये समझ नहीं सकते । ऐसे वक्त में अगर बिना पूरी बात जाने अगर कोई गलत टिप्पणी कर दें तो बाद में पछताना पड़ सकता है।
कुछ समय पहले की बात हैं सोहन नाम के एक लड़के को मोबाइल पर एक एक मैसेज आया । भेजने वाला उसके गांव का एक लड़का था जिसका नाम काले था । मैसेज में उसने लिखा था की भाई आपकी माजी ने एक महीने पहले मुझसे कुछ पैसे उधार लिए थे जो अब तक वापस नहीं लौटाए । सोहन को बहुत बुरा लगा और उसे बहुत गुस्सा आया की क्योंकि उसकी मांजी ने इस बारे में सोहन को कुछ बताया ही नहीं था । सोहन ने अपनी मांजी को फोन किया और उन्हें डांटा क्योंकि सोहन की जानकारी के बगैर उन्होंने पैसे लिए । सोहन इसलिए गुस्सा था क्योंकि अगर उसकी मांजी को पैसों की जरूरत पड़ती है तो पहले उन्हें सोहन को बताना चाहिए । सोहन ने अपनी मांजी को बहुत डांटा और फोन काट दिया बाद में सोहन को मांजी ने बहुत फोन किया पर उसने नहीं उठाया ।
अगले दिन सोहन के पापा ने किसी दूसरे के नंबर से सोहन को मैसेज भेजा – “ आपकी मांजी ने जो काले से पैसे लिए थे वो दूसरे दिन ही लौटा दिए थे । काले को याद नहीं था। “
बाद में सोहन को पछतावा हुआ । फिर अगले दिन उसकी मांजी का फोन आया और उन्होंने बताया – “ बेटा! काले को पहले ही पैसे दिए जा चुके हैं। तुम रूठा मत करो। हमें चिंता होने लगती । हम बता नहीं सकते की हम तुम्हे कितना चाहतें हैं । “
इस तरह सोहन को सीख मिली की कभी भी कोई भी प्रतिक्रिया करने से पहले पूरी बात समझ लेनी चाहिए ।