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अपने जीवन में हमें कई तरह के रिश्ते और दोस्त देखने को मिलते है । ये हमारे जीवन को एकदम परिपूर्ण एवं खुशहाल बनाने में सहायक होते है । यदि कोई खुशी का अवसर हो तो हम अपनों में खुशी बांटते है और यदि कोई दुख हो तो कहा जाता है की बताने से दुख भी हल्का होता है । इंसान एक सामाजिक जीव है तो स्वाभाविक है कि ये एकदम अकेला, बिना किसी के मदद के तो रह नहीं सकता ।
जरूरत पड़ने पर हम सब किसी न किसी ऐसे व्यक्ति के पास जाते हैं जो हमारी समस्याओं को समझे ! हमारी सहायता करे एवं हमें हमारी समस्याओं का हल बताए । ऐसे में हम उसी व्यक्ति के पास जातें है जो हमारी सहायता करने में समर्थ हो अर्थात हमारी समस्या को समझे, सहायता करे या सहायता करने का मार्ग हमें बताएं । ऐसे इंसान को हम बहुत ही महत्त्वपूर्ण अर्थात काम का व्यक्ति मानते हैं । क्योंकि हमें आशा होती है की कोई काम आए या ना आए परंतु यह व्यक्ति जरूर हमारे काम आएगा ।
उपरोक्त सभी कथन सत्य हैं इसमें कोई शक नहीं है । किंतु जो व्यक्ति सभी के लिए सहायक ( काम का व्यक्ति ) हो तो यह स्वयं उसके लिए एक अभिशाप से कम नहीं है। चलिए इसे एक उदाहरण से समझते है –
“एक लड़का है जो हमेशा सबकी सहयता करता है! सबके लिए सदैव मदद को तत्पर रहता है! सब उसे बहुत ही ज्ञानी मानते है एवं उसके पास सहायता मांगने जाते है । और वो व्यक्ति सदेव ही सबकी सहायता करता है कभी किसी को माना नही करता । अगर सहायता नहीं कर पाता तो सहायता का मार्ग बता देता है ।
उदाहरण के लिए ही सही फर्ज कीजिए को वह लड़का एक बार बीमार पड़ गया । उसकी दशा इतनी खराब हो गई की वो चल भी नहीं पा रहा था । एकदम अकेला पड़ गया । उसमे इतनी भी क्षमता नहीं की वह किसी के पास मदद मांगने जा सके । फिर भी उसने फोन पर सभी मित्रों एवं रिश्तेदारों से संपर्क किया सहायता के लिए ! पर कोई आगे नहीं आया । उसे बहुत दुख हुआ । कोई उसकी सहायता करने तो दूर उसका हाल भी पूछने नहीं आया । जो व्यक्ति सदैव दूसरों की मदद करता रहा बिना किसी अपेक्षा के वो आज अकेला पड़ गया ।“
इस संसार का यह भी एक कड़वा सत्य है ‘ यदि आप सदा ही दूसरों की सहायता के लिए तत्पर रहेंगे तो लोग आपको तभी याद करेंगे जब आपकी आवश्यकता होगी ।’ आपका महत्वपूर्ण होना कभी कभी आपके लिए अभिशाप बन जाता है क्योंकि लोग आपका जैसे चाहें वैसे इस्तेमाल करते हैं । और आप उनके लिए कोई इंसान नहीं बल्कि एक सहायता करने वाला माध्यम बन जातें है।
आपका इस्तेमाल करने वाले व्यक्ति यह भूल जाते हैं की आप भी एक इंसान हैं! आपकी भी सहायक या सहायता की आवश्यकता होती है । फिर कई बार अपने मन में ठान भी लेते हैं की अब मुफ्त में किसी की मदद नहीं करेंगे पर आपसे कोई ऐसा मदद मांगने आ जाता है की आप माना नहीं कर पाते और अपने आपको मदद के लिए हाजिर कर देते हैं की लो हमारा इस्तेमाल कर लो। इसी संदर्भ में दो शेर बहुत ही प्रख्यात हैं –
पहला:
“उजाला मागने आया था रोशनी की भीख;
हम अपना घर न जलाते तो और क्या करते...!
और दूसरा : मुझे खरीदने ऐसे भी लोग आते हैं;
जिनके कहने से मुझे अपनी कीमत घटानी पड़ती है ..! “
उपरोक्त संदर्भ में कुछ पंक्तियां प्रस्तुत हैं:
मदद के बदले मदद करके तुझे क्या मिला,
दूसरों के लिए खुदको इस्तेमाल करके तुझे क्या मिला ।
क्या मिला तुझे यूं खुद को कुर्बान करके
क्या मिला दूसरों के लिए हाजिर जान करके
क्या मिला खुद को काम का इंसान करके
मतलबियो की दुनिया में खुद बेमतलब करके तुझे क्या मिला
मदद के बदले मदद करके तुझे क्या मिला,
दूसरों के लिए खुदको इस्तेमाल करके तुझे क्या मिला ।