मिले न मुझको कहीं राह-गुज़र, मेरी पहचान है।
कहाँ मैं ढूंढूं इसे दर-ब-दर, मेरी पहचान है।
न ज़ात से है मेरी, न पात से है कोई रिश्ता,
ये मेरे कर्मों का इक है असर, मेरी पहचान है।
जो भीड़ में मैं खड़ा हूँ तो तन्हा भी हूँ मैं अक्सर,
यही तो है मेरा सफ़र, मेरी पहचान है।
कभी मैं शांत लहर हूँ, कभी तूफ़ान हूँ दिल में,
ये रंग बदला हुआ हर पहर, मेरी पहचान है।
ये मिट्टी जिसने पाला है, ये आसमाँ की छतों,
इन्हीं से जुड़ा हुआ मेरा घर, मेरी पहचान है।
'कोई' न समझे मुझे गैर इस दुनिया में,
मैं आप ही हूँ अपना हमसफ़र, मेरी पहचान है।