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न जाने हमसे कौन सी ऐसी खता हो गई
मोहब्बत हमारे दरपे आके लापता हो गई
एक अरसे बाद तो हम मिले थे उससे
और वो बिन बताए एक पल में जुदा हो गई
जो बिछड़े हम तो मिले तो नहीं उससे
मोहब्बत में जिंदगी मीलों का फासला हो गई।
आज भी कमबख्त मेरी आंखो में नहीं आई,
मेरी नींद भी जैसे मुझसे खफा हो गई।
मुझे देखकर लोग हाल तेरा पूछते हैं
मेरी शख्सियत तो जैसे उसीमे हवा हो गई।
किस वजह से अब उसके नज़्में लिखूं
उसकी चिठ्ठी आई थी वो शादी शुदा हो गई।
न जाने हमसे कौन सी ऐसी खता हो गई
मोहब्बत हमारे दरपे आके लापता हो गई!