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बाहर से आ रही है स्कूटर की आवाज़ लगता है आज घर में शोर रहेगा।

मेरे चाचा और उनका परिवार आया है। मेरी उनसे कुछ खास बातचीत नहीं है और न ही वो मेरे लिए आए है। वो आए है दादा—दादी से मिलने उनसे मिलकर चले भी जाएंगे। चाची मम्मी और ताइजी के साथ रहेंगी। उनसे भी नमस्ते के अलावा मेरी कोई बात नहीं होगी उनका बेटा थोड़ा छोटा है तो वो भी छोटे भाई बहन के साथ रहेगा। लेकिन तब भी मैं खुश हु।

खुश हूँ क्योंकि मेरे लिए भी कोई आया है। मेरी बहन आई है, हाँ 12 साल की चचेरी बहन। मुझे पता है आने से एक रात पहले ही सोच रही होगी की आज मुझे क्या क्या बाते बताएगी। कुछ घर की, कुछ स्कूल की और मुझसे क्या क्या लेकर जायेगी। आने के 1 घंटे तक शारमायेगी बाकी के 9 घंटे मेरे साथ बिताएगी।

''ये तेरा है?" कहकर मेरे पास आई ! मेरा हेयर बैंड उसके हाथ में था! मैने हाँ कहकर उसके हाथ से वो ले लिया वरना वो उसे अपने साथ ले जाएगी। ''सुंदर है" कहकर वो भी थोड़ा मुस्कुराई फिर इतने में ही भाई बहन आ गए और हम खेलने चले गए। वो दोनों बहन भाई हमे डराने के लिए ये जरूर बोलते थे कि आज हम जल्दी चले जायेंगे हमें ट्यूशन जाना है। ताकि हम उन्हें रोके!

“हम बाज़ार जा रहे है" मम्मी की आवाज़ आई और हम सब नीचे भागे एक दूसरे की चप्पल पहनी और बाज़ार चले गए। वहा एक दूकान मे बहन को एक चप्पल पसंद आई जो उसके पैर में भी नहीं आई और थोड़ी महंगी भी थी हम सब उस दुकान से चले गए, “थोड़ी बड़ी नहीं बना सकते थे क्या आप चप्पल" बहन ने कहा दुकानदार से, दुकानदार ने उसके सामने हाथ जोड़ लिए और थोड़ा मुस्कुराया। कितनी मासूम है यार ये, भला अब वो दूकानदार भी इसमें क्या ही करता बेचारा।

फिर हम घर आ गए। चाचा ने कहा अब घर चलो बहुत देर हो गई है। हम सब एक दूसरे की तरफ देखने लगे। मैं सबको देख रही थी लेकिन वो सिर्फ मुझे देख रही थी, शायद उसे सब पता चल गया था! कि वो इसके बाद कभी यहां मुझसे मिलने नहीं आ पायेगी।

उसके कुछ दिन बाद वो हेयरबेंड लेने मेरे पास नहीं भगवान् के पास चली गयीं।

मासूम वो, हेयरबैंड उसे देने का इंतजार करती मैं।

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