नही समझते बच्चे अभी या,
कभी हमने समझाया नही,
हर वक्त उनकी हर जिद्द को जो पूरा किया,
कभी पैसो की अहमियत उनको समझायी नही,
आज महसूस हो रहा कहां कमी रह गयी,
सचमुच सच कहा है किसी ने,
मातापिता खुद अपने बच्चों को बिगाडते है,
उनको सही समय पर टोकते नही,
और समय निकल जाने के बाद समझाते है,
भला मुंह से निकले शब्द कभी वापिस लिए जा सकते है,
कभी उनको मेहनत करने दी होती,
कभी उनको अन्न का महत्व समझाया होता,
कभी उनकी गलतियों पर डांटा होता,
कभी उनको परिवार की अहमियत समझायी होती,
कभी उनको रिश्तों की कद्र करना सिखाया होता,
अब अफसोस करने से सिर्फ दुख होगा,
अगर पहले कोशिश की होती तो फक्र होता,
टीवी में देखकर हम खुले विचार वाले होना चाहते,
पर बच्चों को काबू में रखना चाहिए ये भूल जाते है,
हम बच्चों मे कितनी जल्दी कमियां निकाल देते है,
शायद कभी हमने अपने आप में कमी देखी होती,
किस प्रकार हम बच्चों को खुद आलसी बना देते है,
और फिर उन पर रोब झाडते है,
कैसे उन्हें सब कुछ हाथो में लाकर दे देते है,
पर किस प्रकार दिन रात मेहनत की वो नही बताते है,
काश हम अपने बड़ों से सीखते तो ऐसा न होता,
और आज हमारे बच्चे ऐसे न होते,
आज एक बात जरूर समझ आ गई,
बच्चों से प्यार करना मना नही,
पर,
उनको आलसी बना देना,
उनकी हर जिद्द पूरी करना,
उन्हें मेहनत से दूर रखना बिल्कुल गलत है,
आखिर वही उम्र होती है जब वो समझ सकते है,
जिस आकार मे चाहो हम उन्हें ढाल सकते है,
और हम वहीं एक गलती कर देते है,
और बाद में जीवनभर पछताते है।