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संतान होना ही परम सौभाग्य की बात है,
और हम इंसान उसमें भी करते फर्क है,

जरा पूछो उस मां से जिसके कोई संतान नहीं,
तरसती वो संतान को वात्सल्य भाव देने के लिए,
उसके उन नन्हे हाथों को पकड़ने के लिए,
उसको लोरी गा सुनाने के लिए,
उसको अपने आंचल की छांव में बैठाने के लिए,

और हम बेटियों के पैदा होते ही उसे मारने की सोचते हैं,
अरे धिक्कार है ऐसी सोच पर....,
कि बिटियां बोझ है,

अरे बिटियां तो वो वरदान है,
जो हर किसी के किस्मत में नहीं,
जिन पर खुदा होता मेहरबान है,
उनकी गोद में खिलती नन्ही सी चिड़िया है,
महकता आंगन उसके पायल की छमछम से,
होती विदाई तो रोता घर आंगन भी,
सचमुच जिनके होती है बेटिया,
वो तो होते बड़े भाग्यशाली हैं,
जिन्हें मिलता है सौभाग्य कन्यादान का,
क्योंकि होता यह संसार का सबसे बड़ा दान है।

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